नामदेव न्यूज डॉट कॉम
हमें ख़ुशी होनी चाहिए या नहीं, यह तो नहीं मालूम किन्तु आज समाज में कुछ लोग कुकुरमुत्ते की तरह रोज नई नई संस्थाएं अपने अलग-अलग समाज हित के खूबसूरत खयाली विचारों की आड़ में अपनी स्थापना करते हैं और एक मंडल की रचना करके सिंहासन पर बिराजमान हो जाते हैं।
वे नित नए प्रोग्राम्स एवं समारोह का आयोजन कर वाह-वाही लूटते हैं, चिपकू छपाक पदभार का लोभ नहीं छोड़ते और समाज के खून पसीने की कमाई को न्योछावर कर देते हैं। इसका परिणाम शून्य से अधिक नहीं मिलता। काश ये ही पैसा भावी पीढ़ी की शिक्षा, स्कूल निर्माण या नारी विकास के लिए व्यय किया जाए तो शायद सार्थक होगा। वरना खाओ पियो मौज करो से समाज का उत्थान असंभव है। मेरी बात का बुरा लगे तो माफी चाहूंगा किन्तु इस बात पर गौर कीजिएगा कि समाज को किस चीज की ज्यादा जरूरत है।
-पारसमल हिम्मत मल गहलोत, सादरी पाली हाल वापी
(पूर्व सचिव एवं अध्यक्ष श्री विट्ठल नामदेव राजस्थान छीपा समाज, दमन यूटी )
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