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महाघूस कांड : 3000 पन्नों का चालान पेश, आरोपियों की जेल में मनेगी दिवाली

ashok singhvi
उदयपुर। राज्य के सबसे बड़े महाघूस कांड खान आवंटन घोटाले में निलंबित शासन सचिव सहित आठों आरोपियों की दीपावली केन्द्रीय कारागृह में ही मनेगी। इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने तीन हजार पृष्ठों का चालान गुरुवार को अदालत में पेश किया। इसमें 73 गवाह सूचीबद्ध किए गए हैं। विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार मामलात) के पीठासीन अधिकारी ने आठों आरोपियों की न्यायिक हिरासत अवधि 19 नवम्बर तक बढ़ा दी है। अब न्यायालय में प्रकरण की नियमित सुनवाई शुरू हो जाएगी।

खान विभाग में सावा के खान मालिक की बंद पड़ी खानों को शुरू कराने की एवज में 2.55 करोड़ की रिश्वत के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे आरोपी खान विभाग के निलंबित प्रमुख शासन सचिव सिविल लाइन जयपुर निवासी डॉ. अशोक सिंघवी पुत्र डॉ. ए.एम. सिंघवी, खान विभाग के निलंबित अतिरिक्त निदेशक हिरणमगरी सेक्टर-14 निवासी पंकज पुत्र ईश्वर सिंह गहलोत, न्यू अशोक विहार खारा कुआं उदयपुर हाल भू विज्ञान विभाग भीलवाड़ा में निलंबित अधीक्षण खनिज अभियन्ता पुष्करराज पुत्र इंदरलाल आमेटा, बिचौलिया दिल्ली हाल पंचरत्न कॉम्पलेक्स बेदला रोड निवासी संजय पुत्र स्वरूपचंद सेठी और बिचौलिया नई आबादी सावा शम्भूपुरा चित्तौड़ निवासी मोहम्मद रशीद पुत्र अकबरूद्दीन शेख, भूपालपुरा निवासी सीए श्याम सुंदर पुत्र कस्तूरचंद सिंघवी, कालका माता रोड़ निवासी धीरेंद्र सिंह उर्फ चींटू पुत्र सूर्यबख्श सिंह राजपूत और सावा निवासी मोहम्मद शेर खान पुत्र गुलबाज खान को गुरुवार को न्यायिक अभिरक्षा अवधि समाप्त होने पर केन्द्रीय कारागृह से विशेष न्यायालय में लाया गया।

यहां एक-एक आरोपी को लोक अभियोजक ओमप्रकाश मेहता की अगुवाई में पेश किया गया। इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के जयपुर मुख्यालय से आए मुख्य अनुसंधान अधिकारी शंकरदत्त शर्मा ने अदालत में आठों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश कर दिया।
73 गवाह बनाए

आरोप पत्र करीब तीन हजार पृष्ठों का है, जिसमें 73 गवाह है और दस्तावेज हैं। ब्यूरो ने इन आठों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7, 8, 9, 10, 13 (1)(सी)(डी)(2), धारा 14 और भादसं की धारा 120-बी और 409 में आरोप पत्र पेश किया। अनुसंधान अधिकारी द्वारा पेश किए गए चालान में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य बताए गए है।

चालान में यह भी बताया गया कि ब्यूरो द्वारा 16 सितम्बर को भूपालपुरा में खान मालिक के सीए श्याम एस. सिंघवी के घर बंद पड़ी खानों को चालू करने के लिए घूस की राशि का आदान-प्रदान हो रहा था।

2.55 करोड़ रुपए जो सिंघवी के कार्यालय से बरामद किए गए उनमें से 1 करोड़ हवाला के जरिए जयपुर में अशोक सिंघवी को भेजे जाने थे। 25 लाख रुपए खानें चालू करने के लिए निचले स्थित अधिकारी सिस्टम में बंटने थे और सवा करोड़ रुपए संजय सेठी स्वयं लेने वाला था।
अनुसंधान पेंडिंग

चालान में सीआरपीसी की धारा 173 (8) में पेश किया गया, जिसमें अनुसंधान को पेंडिंग बताया गया है। ब्यूरो की ओर से इस मामले में और साक्ष्य न्यायालय में सप्लीमेंट्री चार्जशीट के साथ पेश करेंगे, जिसमें आरोपियों से बरामद किए गए मोबाइल, लेपटॉप तथा अन्य दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट आएगी वह भी पेश की जाएगी।
मियाद के भीतर ही चालान पेश

60 दिन के भीतर इन आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया जाना था, लेकिन ब्यूरो ने महानिरीक्षक दिनेश एम.एन. के नेतृत्व में त्वरित कार्यवाही करते हुए 51वें दिन ही आरोप पत्र न्यायालय में पेश कर दिया।

इन आरोपियों ने सरकारी कर्मचारी होते हुए सरकारी दस्तावेजों का जमकर दुरुपयोग किया गया। आरोपियों की न्यायालय में मौजूदगी के दौरान ब्यूरो द्वारा चालान पेश किया गया जिसकी एक-एक प्रति आठों आरोपियों को दी गई। अब इस मामले में नियमित सुनवाई 19 नवम्बर से भ्रष्टाचार मामलात के विशेष न्यायालय में पीठासीन अधिकारी अजित कुमार हिंगर के समक्ष होगी।
फर्जी पत्र से खुली चैन

ब्यूरो द्वारा जो चालान पेश किया गया उसके अध्ययन से पता चला कि आरोपियों ने राधेश्याम सोनी के नाम से फर्जी प्रार्थना पत्र तैयार किया गया और उसके जरिए शेर खान की खानों में अनियमितता बताई गई। उक्त शिकायत पर चित्तौड़, भीलवाड़ा के माइनिंग इंजीनियर को चैक करने के लिए भेजा गया। उन्होंने माइंसों में गड़बड़ी बताते हुए 6 माइंस बंद करा दी।

नोटिस में भी भारी गड़बडिय़ां पाई गई और इसके बाद बंद पड़ी खानों को चालू कराने के लिए लेनदेन शुरू कर दिया। ब्यूरो ने उस फर्जी एप्लीकेशन को बरामद कर लिया जिस पर केवल राधेश्याम सोनी का नाम लिखा हुआ था, किसी का एड्रेस व मोबाइल नम्बर भी नहीं थे। ब्यूरो ने जांच में यह एप्लीकेशन आरोपियों द्वारा ही तैयार करना पाया गया जो पूर्णतया फर्जी थी।

इन आरोपियों ने माइंसों में कमियां निकालते हुए रिपोर्ट तैयार की और माइंसें बंद कर दी। साथ ही राजस्थान उच्च न्यायालय में केविएट भी पेश कर दी ताकि खान मालिक यदि वहां पर जाए तो एकतरफा सुनवाई नहीं हो सके। न्यायालय में दोनों पक्षों को सुनना पड़े। ब्यूरो टीम ने केविएट भी बरामद कर ली।

जांच में यह भी तथ्य सामने आए कि बिचौलिये संजय सेठी का मोबाइल जो ब्यूरो टीम ने बरामद किया उस ब्यूरो टीम को उसके वॉट्सअप में इस केविएट की तैयार की गई कॉपी मिली। बिचौलिया संजय सेठी ही अधिकारियों को पूरी तरह गाइड करता था। क्या नोटिस देना है? और न्यायालय में क्या प्रस्तुत करना है? माइंस मालिकों से क्या बात करनी हैï? इस संबंध में कम्पलीट नोटिस रिकॉर्ड करके वॉट्सअप के जरिए संबंधित अधिकारियों को भेजता था।

चित्तौड़ व सावा के बैंक से निकाली घूस की राशि

ब्यूरो ने चालान में बताया कि माइंस मालिक मोहम्मद शेर खान ने अपनी बंद पड़ी माइंसों को चालू कराने के लिए बिचौलिये व अधिकारियों को दी जाने वाली 2.55 करोड़ की राशि चित्तौड़ व सावा के बैंकों से निकाली गई, जिसकी पुष्टि हुई है।

रशीद माइंस मैनेजर

चालान में ब्यूरो ने बताया कि रशीद को लोडिंग, अनलोडिंग का व्यवसायी बताया गया, जबकि वास्तविक में यह खान मालिक मोहम्मद शेर खान के माइंस का कर्मचारी है, जिसके दस्तावेज और वेतन सर्टिफिकेट भी ब्यूरो टीम द्वारा बरामद किए गए। शेर खान की माइंस पर रशीद मैनेजर की नौकरी करता है और दो लाख रुपए मासिक वेतन है। रशीद माइंस में माइंस व ट्रांसपोर्ट का काम देखता है।

हवा में बुना 2.55 करोड़ का महाघूसकांड
चालान में बताया गया कि तीनों अधिकारी अशोक सिंघवी, पंकज गहलोत, पुष्करराज आमेटा, बिचौलिये संजय सेठी और सीए श्याम एस. सिंघवी ने इस महाघूसकांड को मोबाइल, टेलीफोन व वॉट्सअप मैसेज के जरिये बुना गया था। ये आरोपी कभी भी एक स्थान पर बैठ कर इस रिश्वत का ताना-बाना नहीं बुना था।

सारा ताना-बाना आपस में मोबाइल पर बातचीत के जरिये व कोड वर्ड भाषा में बुना गया था। बाद में जिन-जिन स्थानों पर ये मिले उन स्थानों से ब्यूरो टीम ने साक्ष्य भी बरामद किए। रिश्वत की राशि के खेल में ये लोग उदयपुर के फील्ड क्लब, सर्किट हाऊस में रुके, जिनके साक्ष्य ब्यूरो ने बरामद किए। साथ ही बैंकों के रिकॉर्ड भी जब्त किए हैं।
 जांच के लिए गठित किया विशेष दल

एसीबी के महानिरीक्षक दिनेश एम.एन. ने इस घूसकांड का खुलासा होने के बाद निर्धारित समय में आठों आरोपियों के खिलाफ चालान पेश करने के लिए मुख्य अनुसंधान अधिकारी शंकरदत्त शर्मा के नेतृत्व में पुलिस उप अधीक्षक सुरेंद्रदत्त शर्मा, निरीक्षक रायसल सिंह, संग्राम सिंह, महेश शर्मा, फूलचंद सहित 25 अधिकारियों की टीम ने इस जांच को अल्पावधि में पूर्ण किया और करीब तीन हजार पृष्ठों का चालान तैयार किया गया। चालान में यह भी बताया गया कि मामले में अनुसंधान पेंडिंग है इसलिए सीआरपीसी की धारा 173 (8) में जांच की जा रही है और मामले में तितंबा चालान और पेश किया जाएगा।
अदालत बताएगी किसके नाम बनेगी एफडी
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के जयपुर मुख्यालय द्वारा प्रदेश के अब तक के सबसे बड़े खान विभाग के महाघूसकांड का राजफाश करते हुए गत 16 सितम्बर को आठ आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए 2.55 करोड़ रुपए की रिश्वत की राशि जब्त की थी। यह राशि भूपालपुरा थाने के मालखाने में सुरक्षित रखी हुई है। ब्यूरो ने उक्त राशि की एफडी बनाने के लिए अदालत में प्रार्थना पत्र पेश किया। अब अदालत के आदेशानुसार एफडी तैयार की जाएगी। एफडी उदयपुर या जयपुर मुख्यालय एसीबी के नाम होगी।

30 हजार पन्नों को लाए 10 कर्टन में

महाघूसकांड की जांच कर रही टीम ने तीन हजार पृष्ठों की चालान शीट के 10 सेट तैयार किए गए, साथ ही दस्तावेजों के भी 10-10 सेट और ऑडियो सीडी भी तैयार की गई। सभी दस्तावेजों को एक-एक कर्टून में रखा गया। इस प्रकार तीन हजार पृष्ठों को 10 कर्टन में रखा गया और एक साथ इन्हें अदालत में पेश किया गया। साथ ही पद के दुरुपयोग का गंभीर आरोप भी लगाया गया है। दस कर्टन में से आठ कर्टन को एक-एक कर आरोपियों के अधिवक्ताओं को सौंप दिए। साथ ही चालान शीट पेश होने के बाद आरोपियों ने अपने-अपने अधिवक्ताओं से अगली रणनीति पर विचार-विमर्श किया।
पहले ढूंढता, फिर फंसाता और फिर निकालता

मुख्य आरोपी बिचौलिया संजय सेठी विभाग के अधिकारियों से मिलकर खनिज पेशे से जुड़े हुए बड़े व्यवसायियों की तलाश करता है और उस व्यवसायी पर खान विभाग के अधिकारियों से कह कर पहले उनकी खानें बंद करवा देता है उसके उपरान्त उस व्यवसायी से सम्पर्क कर मोटी रकम वसूल कर मामूली पैनल्टी लगा कर खानों को वापस चालू करा देता है।

शेर खान के 14 खनिज पट्टे हैं जिनमें से 6 को सेठी के कहने पर ही अधिकारियों ने बंद किया था। सेठी ने बताया कि एक करोड़ रुपए जयपुर भेजने थे और शेष डेढ़ करोड़ रुपए सुखेर स्थित अरिहंत मार्बल के मालिक मुकेश मोदी को सुरक्षार्थ व्यवसाय में काम आने के पेटे देने वाला था। और यह मावली तहसील के पलाना गांव में लाईम स्टोन माइंस भी खरीदना चाह रहा था।

आरोपी चींटू ने बताया कि उसे नोटों से भरा बैग उसके सेठ केवीएस चौहान ने दिया जो निरमा कम्पनी का मैनेजर है। वह चौहान के पास 18 वर्षों से काम कर रहा है। संजय सेठी चौहान का अच्छा मित्र है उसके कहने पर चौहान की गाड़ी में ही रुपए लेकर श्याम एस. सिंघवी के ऑफिस पहुंचा था।

श्याम एस. सिंघवी ने बताया कि चार दिन पूर्व ही इनकी मुलाकात हुई थी। वह 1987 से शेर खान का सीए है। 15 सितम्बर को शेर खान ने मेरे कार्यालय पर आया और दो बैग व 5 लाख रूपए नकद दिए। उसमें से दोनों बैग संजय सेठी को देना बताया और पांच लाख बैग फोन पर बताए व्यक्ति को देना था।

इन चार दिनों में पांच-छह बार मोबाइल पर वार्ता करना बताया गया। ब्यूरो टीम ने चालान में इन आरोपियों के मोबाइल व बीएसएनएल तथा वॉट्सप पर हुए मैसेज की भी प्रतियां प्राप्त कर ली जो चालान के साथ कोर्ट में पेश की गई।
इधर कार्रवाई , उधर माइंसें शुरू

चालान में यह भी बताया गया कि ब्यूरो टीम ने जैसे ही यह कार्रवाई की तो विभाग के इन तीनों अधिकारियों द्वारा सेठी के कहने पर कुछ और माइंसों को भी बंद कर दी थी। वे स्वत: ही अधिकारियों ने आनन-फानन में चालू कर दीं, जिनमें महेश मंत्री व राधेश्याम सोनी सहित सात-आठ लोगों की माइंसें चालू हो गईं। इनका रिकॉर्ड भी ब्यूरो द्वारा विभाग से मांगा गया। मंत्री से अधिकारी पंकज गहलोत से मिलाना और बिचौलिया संजय सेठी के मार्फत माइंस चालू कराने के लिए 50 लाख रुपए का खर्चा होना बताया था।
सेठी खुद तैयार करता था एजेंडा और लग जाती मुहर

बिचौलिया संजय सेठी का विभाग इतनी घुसपैठ थी कि वह बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी बैठकों का एजेंडा स्वयं तैयार करता था। जयपुर में इसी वर्ष 23 व 24 जुलाई को सीनियर ज्योलॉजिस्ट की बैठक हुई थी, जिसका एजेंडा थी बिचौलिये सेठी ने तैयार कर वॉटï्सअप के जरिए खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव डॉ. अशोक सिंघवी को भेजा था और सिंघवी ने हुबहू यह एजेंडा तैयार कर उस बैठक में रखा था। ब्यूरो टीम ने एजेंडे की कॉपी व दोनों आरोपियों के वॉट्सअप से एजेंडे की कॉपी भी साक्ष्य के तौर पर निकलवा कर पेश की।
आय से अधिक सम्पत्ति का मामला भी बनेगा

तीन हजार के पन्नों वाली चार्जशीट में वास्तविक तथ्यों को ब्यूरो द्वारा रखा गया है। इस मामले की जांच अभी भी जारी है, लेकिन और किसी के मामले में लिप्त होने के बारे में अभी ब्यूरो के अधिकारियों ने बताने से साफ इनकार कर दिया है। खान विभाग के निलंबित अधिकारी डॉ. अशोक सिंघवी, पंकज गहलोत व पुष्करराज आमेटा के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला भी अलग से पेश होगा।

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