जगमोहन का जगराता 21 व 22 दिसम्बर को
पाली। संत नामदेव की चमत्कारस्थली बारसाधाम में हो रहे जगमोहन के जगराता में देशभर के नामदेव समाजबंधु भाग लेंगे। राजस्थान के पंडरपुर के नाम से विख्यात बारसा धाम तहसील मारवाड़ जंक्शन में स्थित है। यहां हर साल की तरह इस बार भी 21 व 22 दिसम्बर को दो दिवसीय जगमोहन का जगराता कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
श्री नामदेव जगमोहन मंदिर सेवा संस्थान के बैनरतले तथा ब्रह्मलीन मोहनानंद महाराज के आशीर्वाद से हो रहे इस धार्मिक आयोजन में पाली के पुलिस अधीक्षक अनिल टांक, नामदेव छीपा महासभा समिति, जयपुर के अध्यक्ष प्रेमसुख कांकरवाल व फालना के समाजसेवी ठाकुर अभिमन्यु सिंह समारोह के विशिष्ट अतिथि होंगे।
संत शिरोमणी श्री नामदेव महाराज भक्ति सम्प्रदाय संघ पंडरपुर के अध्यक्ष रामकृष्ण जगन्नाथ बगाड़े महाराज, बड़ा रामद्वारा (खेडापा) केरिया दरवाजा पाली के रामस्नेही संत सुरजनदास महाराज व सुभद्रामाताजी मंदिर नोरवा भाद्राजुन के संत गोरधन महाराज भी समारोह में उपस्थित होंगे।
ये होंगे कार्यक्रम
21 दिसम्बर को शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक भोजन प्रसादी होगी। इसी दिन शाम 7 बजे से मंच कार्यक्रम प्रारंभ होगा। इसमें संतों व अतिथियों का स्वागत, चढ़ावा व बोलियों का कार्यक्रम होगा। समारोह में प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया जाएगा। इसके बाद भजन संध्या होगी। भजन संध्या में सोहनलाल पायक, दीलूराजा, हंसमुख परमार व महेन्द्र भाटी भजन सरिता बहाएंगे।
अगले दिन 22 दिसम्बर को सुबह 7 बजे से 9 बजे तक चाय नाश्ता होगा। सुबह 10 बजे संत नामदेव की शोभायात्रा निकाली जाएगी। दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक महाप्रसादी होगी। महाप्रसादी के साथ ही दो दिवसीय मेले का विसर्जन होगा। शाम को कार्यकर्ताओं की बैठक होगी।
यह है बारसाधाम का महत्व
किंवदंती है कि संत नामदेव जब उत्तर भारत की यात्रा पर थे तब वे पाली जिले के एक गांव में ठहरे। वहां एक मंदिर में संत नामदेव ने कीर्तन प्रारंभ किया। यह पता लगते ही कीर्तन सुनने बहुत लोग एकत्र हो गए। सभी कीर्तन सुनने में तल्लीन हो गए।
इतने में ही कुछ विरोधी लोग आ धमके और शोर-शराबा करने लगे। विरोधियों ने क्रोध में नामदेव जी से कहा कि अगर आपको कीर्तन ही करना है तो पंढरपुर जाएं। विरोधियों ने नामदेव जी से कहा, ”तुम्हारे कीर्तन के कारण मंदिर में आने का मार्ग बंद हो गया है । अगर तुम्हे कीर्तन करना ही है तो मंदिर के पीछे जाओ।”
यह सुनकर नामदेव ने विरोधियों को साष्टांग नमस्कार किया और मंदिर के पीछे पहुंच गए। वहां उन्होंने फिर से कीर्तन प्रारंभ किया। अचानक चमत्कार हुआ। यकायक मंदिर उस दिशा में घूम गया जहां नामदेव जी कीर्तन कर रहे थे। जिसने भी यह चमत्कार देखा, वह दंग रह गया और संत नामदेव के चरणों में साष्टांग हो गया। यही स्थान अब बारसाधाम के नाम से पहचाना जाता है।