सभी ने सराहा, कई सुझाव भी आए
नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। 35 घटकों में बंटे नामदेव समाज को एकजुट होकर नामदेव समाज राष्ट्रीय संगठन का गठन करना चाहिए। इसके लिए गत रविवार को पुष्कर में हुई सफल वैचारिक बैठक पर देशभर से जबरदस्त सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आई हैं। विभिन्न प्रांतों के नामदेव समाज संगठनों के मुखियाओं से लेकर समाज के आमजन तक ने इसे एकता की दिशा में आशा की नई किरण बताते हुए भरपूर साथ देने का ऐलान किया। समाज के विभिन्न वाट्स एप ग्रुप्स और फेसबुक से लेकर नामदेव न्यूज डॉट कॉम के समाचारों पर मिले कमेन्ट्स से यह साफ हो गया कि सभी बंधु राष्ट्रीय संगठन बनाने की मुहिम में साथ हैं।
पेश हैं विभिन्न प्रतिक्रियाएं और सुझाव
गर्व कीजिए
बंधुओं देश की मुख्यधारा से दूर नामदेव समाज के लिए सोशल मीडिया एवं सन्तोष तोणगरिया (नामदेव न्यूज डॉट कॉम) की टेक्नोलॉजी हमारे लिए वरदान साबित हुई है। इनके सहयोग से कई खापों में बंटे समाज में अल्पसमय में ही गर्व करने लायक एकता हो गई और आज हमारा समाज राष्ट्रीय राजनीति के द्वार पर दस्तक देने के लिए तत्पर खड़ा हो गया। इसी क्रम में अब हमें कुछ विषयवार ग्रुपों की भी आवश्यकता महसूस होने लगी है जैसे-नामदेव युवा मंच, नामदेव विद्यार्थी मंच, नामदेव संयुक्त कर्मचारी संघ, नामदेव शिक्षक संघ, नामदेव पत्रकार संघ, नामदेव अभिभाषक संघ इत्यादि…। इनसे विषय में पारंगतता बढ़ेगी, समस्या समाधान में मदद मिलेगी।
-सत्य नारायण, बारां, राजस्थान
नामदेव लिखें
11 सितम्बर को पुष्करर में लिया निर्णय एकता की प्रथम सीढ़ी है। सभी समाज बंधुओं से निवेदन है कि वे अपने सरनेम के साथ नामदेव अवश्य लिखें ताकि मालूम हो सके कि देशभर में हमारी संख्या, हमारी ताकत कितनी है।
ज्वाला नामदेव (बिलासपुर), कार्यकारी अध्यक्ष अखिल भारतीय नामदेव क्षत्रिय महासंघ, नई दिल्ली
गांव-गांव चले मुहिम
तीर्थराज पुष्कर में समाजहित में लिए गए निर्णय के लिए सभी को बहुत-बहुत बधाई।
जैसा कि आप और हम सभी जानते हैं कि हम बहुसंख्यक होकर भी अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बना पाए हैं। हमारी सामाजिक पहचान अलग-अलग राज्यों में कार्य एवं भौगोलिक स्थिति के अनुसार बनती-बिगड़ती गई। कहीं हम छीपा, कहीं दर्जी, भावसार, रोहेला, शिम्पी, खत्री आदि नामों से जाने जाते रहे हैं। कई बार एक पहचान बनाने के प्रयास भी किए गए, सभी प्रयास किसी न किसी समस्या या स्थानीय राजनीति या प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा कुचल दिए गए। आज नामदेव समाज की पहचान के लिए (नामदेव ) नामकरण किया गया यह कोई नया नहीं है। कई बार कई जगह इस संबंध में सहमति बन चुकी है। राजस्थान के शहर कोटा, जयपुर आदि जगह पर नामा, छीपा, नामदेव लगाते हैं लेकिन बाकी अधिकांश जगह गौत्रों का ही बोलबाला रहा और अभी भी है। मेरा मानना यह है कि जब तक हमारा प्रयास गांव, कस्बा, जिला स्तर के संगठन तैयार करके घर-घर नामदेव नामकरण की मुहिम नहीं चलाएंगे तब तक हम खाप-घटक दलों में फंसे रहेंगे। अर्थात घटक दलों के एकीकरण के बिना हम संगठित नहीं हो सकते हैं। आज हमें बौद्धिक के साथ-साथ प्रेैक्टिकल भी होना पड़ेगा। हमारे पास संंगठन सूत्र केवल नामदेव नाम ही है। नामदेव के बिना हमारा विकास सम्भव नहीं है। भविष्य की चिन्ताओं को भांपकर हम अभी भी नामदेव नाम का सहारा नहीं लेंगे तब तक न तो आर्थिक न राजनीतिक, न लिंग अनुपात, आरक्षण जैसी समस्यों से निपट पाएंगे।
-अशोक कुमार छीपा (नामदेव) चितौडग़ढ़ राजस्थान
नामदेव लिखकर आगे आओ
कोर कमेटी सदस्यों की मेहनत जरूर रंग लाएगी। अब समय आ गया है नामदेव समाज को आप सभी सदस्यों के मार्गदर्शन से संपूर्ण देश से नामदेव समाज को एक सूत्र में बांधकर आगे आने का मौका मिला है। हम- आप जहां पर भी रहते हों, नामदेव लिखकर आगे आओ और जितनी ज्यादा एकता होगी उतना फायदा हमें-आपको मिलेगा। कोई कहीं भी निवास करता हो, अपने नाम के आगे नामदेव लिखकर अपनी एकता-पहचान बता सकेगा।
-महेंद्र कुमार नामदेव, भोपाल
शुभ संकेत
सामाजिक एकता के एक नये अध्याय की शुभारंभ परम पिता ब्रह्माजी की पावन धरा से हुआ, जो अपने समाज के लिए शुभ संकेत है|समाज की राष्ट्रीय पहचान बने और सामाजिक उत्थान के मीठे फल आनेवाली पीढ़ी को चखने मिले ऐसी भगवान विट्ठल और संत नामदेवजी को अंतःकरणपूर्वक प्रार्थना|
-सुरेश राठौड़, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, बड़ौदा- गुजरात
अनूठी पहल के लिए आभार
नामदेव समाज की एकता के लिए अनूठी पहल के लिए स्वजाति बन्धुओं का आभार।
-राजकुमार राईवाल, बेगूँ जिला चित्तोड़ गढ़
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