नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। चमार शब्द के पर्यायवाची ‘ऐरवाल’ शब्द को संविधान की अनुसूची मेें मान्यता देने की मांग लेकर 16 अगस्त को भीलवाड़ा में ऐरवाल महासभा राजस्थान एरवाल समाज सरकार को ज्ञापन देगा।
समाज के भीलवाड़ा जिलाध्यक्ष धनराज मंगरोप व युवा जिलाध्यक्ष जीवन ऐरवाल ने नामदेव न्यूज डॉट कॉम को बताया कि कलक्टे्रट में होने वाली जनसुनवाई में जिला प्रभारी मंत्री एवं महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल को ज्ञापन दिया जाएगा। उपाध्यक्ष शिवलाल ऐरवाल ने बताया कि मंगलवार सुबह 11 बजे समाज का शिष्टमंडल मंत्री भदेल को ज्ञापन देकर चमार शब्द के पर्यायवाची ऐरवाल शब्द को मान्यता दिलाने की मांग की जाएगी।
उन्होंने बताया कि ऐरवाल शब्द चमार शब्द का ही पर्याय व उपनाम है जो राजस्थान अनुसूचित जाति की सूची में चमार के साथ उपजाति ऐरवाल को भी जोड़ा जाए। इस संबंध में राजस्थान सरकार ने 13 अपे्रल 1997 को भारत सरकार को अभिशंसा भिजवाई थी। भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने 23 अक्टूबर 1999 को राजस्थान सरकार से ऐरवाल समाज के संबंध में पुन: अनुशंसा चाही जो राजस्थान सरकार ने 29 जुलाई 2000 को भिजवा दी। यह अनुशंसा तब से भारत सरकार के पास अनुमोदनार्थ विचाराधीन है। समाज की मांग है कि अनुसूचित जाति सूची में 17 नंबर पर दर्ज है, उसके साथ ही ऐरवाल शब्द भी जोड़ा जाए क्योंकि दोनों पर्यायवाची हैं। उनका कहना है कि सरकार ने चमार सम्बोधन पर रोक लगा रखी है। पटवारी आदि चमार जाति प्रमाण पत्र नहीं बनाते हैं ऐरवाल नाम से प्रमाण पत्र बन नहीं सकता। सूची में ऐरवाल शब्द को चमार के पर्याय के रूप में मान्यता मिलने से ऐरवाल जाति प्रमाण पत्र भी बन सकेंगे।