जयपुर। गणपति कंस्ट्रक्शन को एकल पट्टा जारी करने के मामले में पूर्व यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
पहले दौर के बयानों के बाद भी धारीवाल की परेशानी कम न हो कर और बढ़ गई है। जानकारों का कहना है कि एसीबी के सवालों पर धारीवाल ने जिस तरह जवाब दिए, उन्हें काफी गंभीर श्रेणी में रखा गया है।
जानकारों के अनुसार एसीबी के अधिकारियों ने जवाबों को गुमराह करने वाला माना है क्योंकि एक महत्वपूर्ण पद पर बैठे मंत्री द्वारा इतनी बड़ी लापरवाही नहीं हो सकती कि वे तीन सौ करोड़ की जमीन के विवादित सौदे के दस्तावेज पर बिना देखे-समझे हस्ताक्षर कर सहमति दे दे।
एसीबी ने इस बयान पर अलग से नोट तैयार किया है जिस पर सरकारी विधि विशेषज्ञों से भी राय ली जा रही है। इस नोट पर कोर्ट की कार्यवाही के दौरान विशेष जोर दिया जाएगा।
जानकारों का कहना है कि इन बयानों के आधार पर धारीवाल का पलड़ा काफी कमजोर हो गया है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि धारीवाल के बयान पूरे होने के बाद इस मामले की आंच पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक भी जाएगी।
लिहाजा इस मामले को लेकर गहलोत भी उतने ही चिंतित बताए जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार एसीबी ने धारीवाल के बयानों की वीडियोग्राफी भी कराई है और लिखित में जवाब लिए हैं।
मामले की जांच प्रगति की कमान संभाल रहे आईजी वी.के. सिंह ने धारीवाल के जवाबों को काफी गंभीरता से लिया है। सिंह जवाबों से किसी भी स्तर पर संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने एक नोट भी तैयार किए हैं जिसमेें टिप्पणी दर्ज की है। इन जवाबों पर एसीबी अब अपने विधि विशेषज्ञों की राय जानने के बाद इसे कोर्ट में पेश करेगी।
यह है मामला
गणपति कंस्ट्रक्शन कम्पनी के मालिक शैलेन्द्र गर्ग ने जेडीए और यूडीएच अधिकारियों की मिलीभगत से मामूली रकम में करोड़ों की जमीन का पट्टा अपने नाम कराया था।
इस मामले में एसीबी अब तक शैलेन्द्र गर्ग व आरएएस निष्काम दिवाकर को गिरफ्तार कर चुकी है। तत्कालीन नगरीय विकास मंत्री होने के नाते धारीवाल भी जांच के दायरे में आए हैं।