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स्कूल में कलाई बैंड के रंग से होती है जाति की पहचान

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जातिवाद का जहर, मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस
नई दिल्ली। तमिलनाडु के शिक्षा मंदिरों में खुलेआम जातिवाद का जहर घोला जा रहा है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के स्कूलों में जाति सूचक चिन्हों के इस्तेमाल पर स्वत: संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है।
एनएचआरसी सदस्य न्यायमूर्ति डी मुरुगेसन ने मीडिया रिपोर्ट को दलितों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मामला माना है। उन्होंने आयोग की ओर से तमिलनाडु के प्रमुख सचिव, समाज कल्याण विभाग और जिला कलेक्टर, तिरुनेलवेली को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर मामले की पूरी तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है।
अलग-अलग जाति, अलग-अलग बैंड
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तिरुनेलवेली जिले में जाति की पहचान के लिए लाल, पीले, हरे और केसरिया रंग के बैंड का  इस्तेमाल किया जाता है। स्कूलों में छात्रों को अपनी कलाई पर जातिसूचक रंगों के बैंड पहनने को कहा जाता है ताकि बच्चे इस बात का अंतर कर सकें कि कौन अपना है और कौन पराया। दक्षिणी तमिलनाडु की यह इस बेल्ट पहले ही अन्य पिछड़ा वर्ग और दलितों के बीच हिंसक जाति संघर्ष के लिए कुख्यात है।

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