संयुक्त राष्ट्र। सऊदी अरब ने अपने यहां इतनी बड़ी मात्रा में लोगों को फांसी की सजा देने को सही ठहराया है। संयुक्त राष्ट्र में अपनी न्यायिक प्रक्रिया का बचाव करते हुए सऊदी की ओर से कहा गया है कि यह पिछले 35 सालों में पहली बार है कि इतने बड़े पैमाने पर हमारी सरकार ने 47 लोगों को एक साथ फांसी दी है लेकिन यह दी गई सजा किसी जातिगत, बौद्धिक और सांप्रदायिक आधार पर नहीं दी गई है।
गौरतलब है कि जिन लोगों को फांसी दी गई, वे शिया और सुन्नी कार्यकर्ता थे जिनके बारे में सऊदी गृह मंत्रालय का कहना है कि वे अल कायदा के हमलों में शामिल थे। इनमें से कुछ से सिर कलम कर दिए गए और कुछ को गोली मार दी गई थी। इनमें से सऊदी अरब के शेख निम्र अल निम्र को मत्युदंड के विरोध में तेहरान में सऊदी दूतावास और मशहाद में वाणिज्य दूतावास पर हमला तक किया गया था।
बताया जाता है कि 56 वर्षीय अल निम्र वर्ष 2011 में सऊदी अरब में सरकार विरोधी आंदोलनों के प्रमुख नेता रहे। इसलिए भी उन्हें उन 47 लोगों में शामिल कर लिया गया था, जिन्हें गत शनिवार को सऊदी अरब में मृत्युदंड दिया गया।
उधर, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनी ने अल निम्र को मौत की सजा दिए जाने की निंदा करते हुए कहा कि अल निम्र को मौत की सजा देने के कारण अल्लाह सऊदी अरब को कभी माफ नहीं करेगा।