शोणितपुर। पेट भरने के लिए जीवन भीख मांगने में गुजर गया। 80 वर्ष की उम्र में मौत हो गई। झोपड़ी में पड़े शव को स्थानीय लोगों ने देखा तो उसे बाहर निकाला। मृतक भिखारी के सिरहाने एक पोटली पड़ी थी। जब उसे खोला गया तो सभी की आंखें फटी की फटी रह गई। पांच, दस, पचास, सौ, 500 व हजार रुपए के नोट से पोटली भरी हुई थी। लोग यह सोचने पर मजबूर हो गए कि इतना पैसा होने के बावजूद भीख मांग कर वह क्यों जीवन गुजार रहा था।
उल्लेखनीय है कि सोमवार की शाम को भिखारी की मौत हुई। लोगों को जब पता चला तो उसको झोपड़ी से बाहर निकाला। झोपड़ी में काफी संख्या में कपड़े और पोटली में बंधा नोटों का अंबार पाया गया। लोग उसे गिनने बैठ गए। बाद में पता चला कि कुल जमा धनराशि 44 हजार रुपए है। य़ह घटना शोणितपुर जिले के तेजपुर की है। तेजपुर के जहाज घाट स्थित रेलवे स्टेशन परिसर में वह एक झोपड़ी में रहता था। वह वर्षों से यहां पर रहता आ रहा था। उसकी शिनाख्त भी नहीं हो पाई है। सूत्रों ने बताया कि उसका कोई सगा-संबंधी नहीं है। पहले जब जवान था तो वह रोटी-सब्जी बेचा करता था। लेकिन रेल स्टेशन बंद होने के बाद रिक्शा चलाकर अपना गुजारा करने लगा। बाद में उसे कई तरह की बीमारियों ने घेर लिया। असहाय हो जाने पर वह भीख मांगकर अपना गुजारा करने लगा। हालांकि यह पता नहीं चल सका है कि वह कहां से आया था और उसके कौन सगे-संबंधी हैं। कपड़े होने के बावजूद चिथड़ों में लिपटा रहता था। यह खबर पूरे शहर में जंगल की आग की तरह फैल गई। सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस भी पहुंच गई। पैसे को गिनकर एक व्यक्ति को रखने के लिए दिया गया। स्थानीय लोगों ने कहा कि इस पैसे से उसका अंतिम संस्कार पूरे रीति-रिवाज के साथ किया जाएगा। जीवित रहते तो न सही उसके शरीर का बेहतर तरीके से अंतिम संस्कार तो अब हो ही जाएगा।