उत्तर प्रदेश के लेबर कमिश्नर को 6 हफ्ते में दिलाना होगा मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ
4 अक्टूबर को महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड और दिल्ली के लेबर कमिश्नर को हाजिर होने का आदेश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में देश का सबसे बड़ा मुकदमा तारीख दर तारीख रोचक होता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने के मामले में देश के प्रतिष्ठित अखबार मालिकों के खिलाफ कोड ऑफ कंडक्ट मामले में अखबार मालिकों के साथ ही राज्य सरकारों को भी झटके लग रहे हैं। मंगलवार को पांच राज्यों की सुनवाई में सर्वोच्च अदालत का ऐसा ही रुख रहा।
पत्रकारों के वेतन से संबंधित फिलवक्त देश के सर्वाधिक चर्चित आयोग मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में मंगलवार को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त कदम उठाया और उत्तराखंड के श्रम आयुक्त को आज के दिन हाजिर रहने की पूर्व सूचना के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में अनुपस्थित रहने पर कोर्ट ने वारंट जारी कर दिया है। साथ ही उत्तर प्रदेश के श्रम आयुक्त को साफ कह दिया कि 6 हफ्ते के अंदर मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को पूरी तरह लागू कराईये। सुप्रीम कोर्ट ने लिखित रूप से तो नहीं बल्कि मौखिक रुप से यह भी कह दिया कि अगर आपने 6 सप्ताह में ऐसा नहीं किया तो जेल भेज दूंगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आज 20जे के मुद्दे पर मौखिक रूप से कहा कि जो भी वेतन ज्यादा होगा, उसे माना जायेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कौन कर्मचारी होगा जिसे वेतन ज्यादा मिले तो वह लेने से मना कर देगा। देश भर के पत्रकारों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे एडवोकेट उमेश शर्मा ने इस खबर की पुष्टि करते हुये कहा है कि आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला काफी एतिहासिक माना जायेगा। श्रम आयुक्तों ने अपनी सफाई में कहा कि कर्मचारी हमारे पर 17(1) के तहत क्लेम नहीं कर रहे हैं। जो क्लेम कर रहे हैं हम उनके पक्ष में खुलकर हैं। श्री उमेश शर्मा ने एक बार फिर कहा है कि लोग 17 (1) के तहत श्रम आयुक्त कार्यालय में क्लेम लगायें।
सुप्रीम कोर्ट से बाहर निकलने के बाद देश भर से आये पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट के लॉन में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मैं बार-बार सबसे कह रहा हूं कि 17(1) के तहत लेबर कमिश्नर के यहां क्लेम लगाईये और फिर सबसे यही बात कहूंगा कि पहले उन्हीं को श्रम विभाग वरियता देगा जिसने 17(1) के तहत क्लेम किया है। अब 4 अक्टूबर को महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड और दिल्ली के लेबर कमिश्नर को माननीय सुप्रीम कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया गया है। इन प्रदेशों के पत्रकार जल्द से जल्द 17(1) के तहत श्रम आयुक्त कार्यालय में क्लेम लगायें।