भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी वह त्रासदी है जो भारत सहित दुनिया के लोगोंं के रोंगटे खड़े कर देती है। 3 दिसंबर 1984 को भोपाल के करोंद इलाके में स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से रिसी जहरीली गैस से करीब 30 हजार लोगों की जान चली गई थी और लाखों लोग इसके शिकार हुए थे जो आज भी उनकी पीढ़ी इसका दंश झेल रही है। सरकारों के गैरजिम्मेदाराना रवैरे गैस पीडि़त आज भी न्याय पाने दर-दर भटक रहे हैं। न तो इन्हें अभी तक वास्तविक मुआवजा मिला न ही इन्हें कहीं शिफ्ट किया गया। न्याय के नाम अदालतों में याचिका पर याचिका और पेशी पर पेशी चलती रही हैं, किन्तु गैस पीडि़तों को पूरी तरह न्याय मिलना आज भी उनकी आंखों में आंसू बनकर रह गया है।
किन्तु यूनियन कार्बाइड को खरीदने वाली कंपनी डाव के संरक्षण पर अमेरिका को जवाब देना होगा। इसके लिए गैस पीडि़तों के संगठनों द्वारा व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर दायर ऑनलाइन याचिका भेजी है जिसे 1 लाख से ज्यादा लोग समर्थन दे चुके है।
इस ऑनलाइन याचिका को ग्रीनपीस, एमनेस्टी इंटरनेशनल व पेस्टीसाइट एक्शन नेटवर्क का भी समर्थन मिला है। लोगों का समर्थन मिलने पर अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए 2 माह में जवाब देना अनिवार्य होता है।
डाव केमिकल को 1984 भोपाल गैस त्रासदी मामले में कॉर्पोरेट अपराध के लिए जिम्मेदार माना गया है ऑनलाइन याचिका में राष्ट्रपति बराक ओबामा से डाव केमिकल को संरक्षण नहीं देने का आग्रह किया गया है। 15 मई को दाखिल इस याचिका पर 12 जून तक कुल 1.02 लाख लोग हस्ताक्षर कर चुके हैं। इसमें लिखा गया है, अमेरिकी सरकार अंतरराष्ट्रीय कानून और समझौते के दायित्वों का पालन करे।