चंडीगढ़। खालसा मेरो रूप है खास, 30 मार्च 1699 वैसाखी के दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने संगत से धर्म और मानवता की रक्षा के लिए एक शीश की मांग की थी, जिसके बाद एक-एक करके शीश भेंट करने को तैयार पांच प्यारे उठे। इन पांच प्यारों को अमृत छकाकर सबसे पहले खालसा रूप दिया गया और खालसा पंथ की स्थापना की गई।
केसगढ़, आनंदपुर साहिब की धरती पर 30 मार्च 1699 हज़ारों की संख्या में संगत जुटी थी। भीड़ में सबसे पहले गुरु जी को शीश भेंट करने वाले लाहौर के दया राम थे, जो बाद में अमृत छक कर दया राम से भाई दया सिंह हो गए। भाई दया सिंह जी के वंशज लुधियाना से सटे दोराहा से हैं और ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं। जबकि गुरू गोबिंद सिंह जी के कहने पर शीश देने को तैयार हुए भाई धरम सिहं जी वंशज सैफपुर (हस्तिनापुर) में आज भी रहते हैं। इनके वंशज इंग्लैंड और कैनेडा में बसे हुए हैं। चूड़ामणी कवि संतोख सिंह इनके वंश में हुए हैं, वहीं से वंश आगे बढ़ा है। बाकी पांच में से तीन प्यारों के वंशजों के बारे में पुख्ता कोई जानकारी नहीं है।
ये हैं पांच प्यारे
1. भाई दया सिहं जी का जन्म 1 फरवरी 1668 लाहौर, पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। वह 13 साल की उम्र में गुरु घर के साथ जुड़े और 18 साल तक गुरमत की पढ़ाई की। इनकी शादी बीबी दयाली जी से 25 मई 1684 को हुई और इनकी चार संतानें थीं। गुरु साहिबान की आवाज पर सबसे पहले उठने वाले भाई दया सिंह जी ही थे। इन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ सभी बड़े युद्धों में हिस्सा लिया। 21 दिसंबर 1708 में इनका अकाल चलाना (निधन) नांदेड में हुआ।
2. भाई धरम सिहं जी का 12 अप्रैल 1670 हस्तिनापुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। 25 साल की उम्र में गुरु घर के साथ जुड़े और 4 साल तक गुरमत की पढ़ाई की। इनकी शादी बीबी सुखवंत कौर से 9 मार्च 1687 को हुई और इनकी चार संतानें थीं। गुरु साहिबान की आवाज पर उठने वाले दूसरे शख्स भाई धरम सिंह जी थे। इन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ सभी बड़े युद्धों में हिस्सा लिया। इनका अकाल चलाना (मृत्यु) 14 जून 1711 को नांदेड़ में हुआ।
3. भाई हिम्मत सिहं जी का जन्म 17 मई 1664 पुरी उड़ीसा में हुआ था। 14 साल की उम्र में गुरु घर के साथ जुड़े और 21 साल तक गुरमत की पढ़ाई की। इनकी शादी बीबी राम कौर जी से 11 नवंबर 1684 को हुई और इनकी पांच संतानें थीं। गुरु साहिबान की आवाज पर उठने वाले तीसरे शख्स भाई हिम्मत सिंह जी थे। इन्होंने गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ 5 बड़े और अनगिनत छोटे-मोटे युद्धों में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। 6 दिसंबर 1704 को युद्ध लड़ते शहीद हुए।
4. भाई मोहकम सिहं जी का जन्म 7 मार्च 1679 द्वारका में हुआ था। 15 साल की उम्र में गुरु घर के साथ जुड़े और 5 साल तक गुरमत की पढ़ाई की। इनकी शादी बीबी सुखदेव कौर जी से 5 नवंबर 1697 को हुई और इनकी तीन संतानें थीं। गुरु साहिबान की आवाज पर उठने वाले चौथे शख्स भाई मोहकम सिंह जी थे। इन्होंने ने भी गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ युद्धों में हिस्सा लिया। 6 दिसंबर 1704 को चमकौर साहिब के युद्ध में शहीद हुए।
5. भाई साहिब सिंह जी का जन्म 3 नवंबर 1675 बिदर, कर्नाटक में हुआ था। 11 साल की उम्र में गुरु घर के साथ जुड़े और 13 साल तक गुरमत की पढ़ाई की। इनकी शादी निरंजन कौर जी से 9 फरवरी 1693 को हुई। इनकी तीन संतानें थीं। गुरु साहिबान की आवाज पर उठने वाले पांचवे शख्स भाई साहिब सिंह जी थे। इन्होंने ने भी गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ लगभग सभी युद्ध लड़े और 6 दिसंबर 1704 को चमकौर साहिब में शहीद हुए।
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