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जीने की ‘राह’ दिखा रहा नामदेव परिवार

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नामदेव न्यूज डॉट कॉम
अजमेर। अपने लिए जीये तो क्या जीये…जीना उसे कहते हैं जो दूसरों के काम आए। हमें गर्व है उन नामदेव परिवारों पर जो दूसरों के लिए कुछ ना कुछ कर रहे हैं। इस बार हम आपको मिलवाते हैं नरसिंहपुर के नामदेव परिवार से जो कई सालों से जरूरतमंद को जीने की राह दिखा रहा है। उन्हें निर्भर से आत्मनिर्भर बना रहा है।
नरसिंहपुर निवासी रामकुमार नामदेव और उनकी धर्मपत्नी साधना नामदेव ने क्षेत्र के कई आदिवासी परिवारों की जिंदगी बदल दी है। कल तक जो लोग लकडिय़ां काटकर जैसे-तैसे गुजारा कर रहे थे, वे अब हुनर सीखकर रोजी-रोटी कमा रहे हैं। यह सब हो रहा है नामदेव परिवार की इच्छाशक्ति के बलबूते।
नामदेव न्यूज डॉट कॉम से बातचीत में नरसिंहपुर नगरपालिका के योजना प्रभारी रामकुमार नामदेव ने बताया कि तेन्दूखेड़ा स्थित उनके घर पर संचालित स्वरोजगार प्रशिक्षण केन्द्र से अब तक क्षेत्र के सैकड़ों लोग सिलाई, ब्यूटी पार्लर जरी-जरदोजी आदि का प्रशिक्षण लेकर गर्व से जीवन यापन कर रहे हैं। इस केन्द्र का संचालन उनकी धर्मपत्नी साधना नामदेव कर रही हैं। जन शिक्षण संस्थान नरसिंहपुर की ओर से प्रायोजित केन्द्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय स्कूल शिक्षा साक्षरता विभाग नई दिल्ली के तत्त्वावधान में संचालित यह स्वरोजगार प्रशिक्षण केन्द्र इस क्षेत्र की तस्वीर बदलने के लिए प्रयासरत है। नामदेव न्यूज डॉट कॉम

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यूं मिली प्रेरणा
एक बार एक आदिवासी महिला ने साधना नामदेव से 4 रुपए उधार मांगे। उसने बताया कि वह बीमार है। डॉक्टर ने 19 रुपए की दवा लिखी है। 15 रुपए तो उसे लकड़ी बेचकर मिल गए। उसे आज 4 रुपए उधार मिल जाए तो वह ठीक होकर लकड़ी बेचकर यह रुपए लौटा देगी।
इस घटनाक्रम ने नामदेव दम्पती को झकझोर कर रख दिया। उन्होंने पाई-पाई के लिए मोहताज ऐसे परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने की ठानी। उन्होंने छोटा सा लोन लिया और स्वरोजगार प्रशिक्षण केन्द्र शुरू किया। शुरू में आसपास के जरूरतमंद नौजवानों, महिलाओं व युवतियों को कौशल प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया। इसके बाद तो जैसे सिलसिला चल पड़ा। अब तक सैकड़ों लोगों को हुनर सिखा चुके नामदेव दम्पती अब भी इस मिशन में जुटे हैं। नामदेव न्यूज डॉट कॉम
आमतौर पर जरूरतमंद प्रशिक्षणार्थियों को वे शासन की योजना के अनुरूप प्रशिक्षण देते हैं। प्रशिक्षणार्थी अगर फीस देने में सक्षम है तो ही फीस ली जाती है जो प्रशिक्षकों आदि के मानदेय पर खर्च होती है।

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बच गया जंगल…हर तरफ मंगल ही मंगल
नामदेव दम्पती के इस प्रयास की सफलता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि तेन्दूखेड़ा में अब जंगल कटने से बच गया है। आदिवासी समाज के लोग लकडिय़ां काटकर बेचने का काम छोड़कर रोजगार से जुड़ गए हैं। यहां तक कि नामदेव समाज भी खूब लाभान्वित हुआ है। क्षेत्र का ऐसा कोई नामदेव परिवार नहीं जो इस प्रशिक्षण केन्द्र से लाभान्वित नहीं हुआ हो।….नामदेव दम्पती की इस कोशिश को नामदेव न्यूज डॉट कॉम का सलाम।

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