नामदेव न्यूज डॉट कॉम
भीलवाड़ा। राजस्थान अनुसूचित जाति की सूची में चमार शब्द के पर्यायवाची के रूप में ऐरवाल शब्द को मान्यता दिलाने की मांग लेकर प्रांतीय ऐरवाल महासभा ने फिर सरकार पर दबाव बनाया है। महासभा के भीलवाड़ा युवा जिलाध्यक्ष जीवन ऐरवाल व उपाध्यक्ष शिवलाल ऐरवाल ने मांडल के उपखंड अधिकारी को इस सिलसिले में ज्ञापन दिया।
मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि ऐरवाल और चमार पर्यायवाची है। राजस्थान अनुसूचित जाति की सूची में चमार शब्द दर्ज है। इसके साथ ही ऐरवाल शब्द को शामिल किया जाए। उन्होंने बताया कि चमार समाज को पहले से आरक्षण मिल रहा है, इसमें किसी प्रकार के बदलाव की मांग नहीं की जा रही है, महज चमार शब्द के पर्यायवाची के रूप में ऐरवाल शब्द को मान्यता देने का आग्रह किया जा रहा है। समाज की मांग पर पूर्व में राजस्थान सरकार ने 15 अप्रेल 1997 को भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को अनुशंसा भिजवाई थी। लेकिन केन्द्र सरकार ने 23 अक्टूबर 1999 को पुन: राज्य सरकार से अनुशंसा चाही। राज्य सरकार ने 29 जुलाई को 2000 को पुन: सिफारिश भेज दी जो अभी तक केन्द्र सरकार के समक्ष विचाराधीन है। इससे समाज में रोष है। समाज की मांग है कि राज्य सरकार शीघ्र ही केन्द्र सरकार से अनुरोध कर एससी की सूची में ऐरवाल शब्द को शामिल कराए।