पन्ना। पवित्र नगरी पन्ना में जगन्नाथ पुरी की तर्ज एतिहासिक रथयात्रा का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है जिसकी शुरूआत गत ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी जी के स्नान के बाद से शुरूआत हो जाती है ।
सैकड़ों वर्ष प्राचीन भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी जी का मन्दिर पन्ना में स्थित है वर्षों पुरानी प्राचीन मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मन्दिर के गर्भग्रह से भगवान जगन्नाथ स्वामीजी ,बहिन सुभद्रा जी एवं बलभद्र जी को बाहर लाकर स्नान कराया जाता है जहां पर उन्हें लू लग जाती है और वे पन्द्रह दिनों के लिए बीमार हो जाते हैं और फिर पूरे पन्द्रह दिनों तक उनका वानस्पतिक जड़ीबूटियों से उनका प्रतिदिन इलाज परम्परागत तरीके से चलता है और अमावस्या के दिन स्वस्थ होने पर उन्हें कच्चा भोजन कराया जाता है और फिर उसी दिन शाम को भगवान जगन्नाथ स्वामीजी,बलभद्र जी एवं सुभद्रा जी को तीन अलग अलग रथों में विराजमान कराकर रथयात्रा की शुरूआत कराई जाती है ।
इस प्रकार से पन्द्रह दिनों तक भगवान के दर्शन बीमार होने के कारण नही होते और प्रतिवर्ष नौ दिनों तक रथयात्रा का आयेाजन किया जाता है जो कि समीपी ग्राम जनकपुर स्थित भगवान जगन्नाथ स्वामी मन्दिर तक रथयात्रा जाने एवं वापस आने में नौ दिनों तक का समय लगता है और पन्द्रह दिनों तक जनकपुर में एतिहासिक मेला लगता है और समूचे बुन्देलखण्ड के लोग इस एतिहासिक रथयात्रा के आयोजन को देखने के लिए आते है।