जमशेदपुर। भुईयाडीह स्थित स्वर्णरेखा नदी के श्मशाम घाट पर अपनों के इंतजार में अस्थियां वर्षाे से विसर्जन के लिए लटक रही है। इस संबंध मे श्मशाम घाट के प्रबंधन कहते है कि अंतिम संस्कार के बाद लोग यह कह कर अस्थी रख कर जाते है कि वे दूसरे दिन यहां से गंगा मे प्रभावित करने अस्थियां ले जायेंगे, लेकिन दूसरे दिन आज तक नहीं आया। यही हाल बिष्टुपुर स्थित पार्वती श्मशाम घाट का है। हालांकि प्रबंधन की ओर से अस्थी कलश को निशुल्क और सुरक्षित ऱखने की व्य़वस्था की गई है और इसके लिए वहां एक व्यक्ति को भी रखा गया है।
इन अस्थियों को सुरक्षित ढंग से देखभाल करने वाले मानवर बहादुर ने बताया कि जब अंतिम संस्काऱ हो जाता है तो कुछ राख को हिंदू धर्म के रीति के अनुसार ऱख दिया जाता है। राख को मिट्टी के बर्तन मे ऱखकर गंगा में प्रभावित किया जा सके। लेकिन कई लोग अंतिम संस्कार के बाद इन अस्थियों को ऱख कर भूल जाते है। आज तक यह अस्थियां उनकी इंतजार मे लटकी हुई है। उन्होंने कहा कि हम इन अस्थियों को खुद जाकर विसर्जित नहीं कर सकते, क्योंकि कही अस्थियों को लेने कोई आ न जाये। इसलिए हम लोग इन अस्थियां सुरक्षित रख कर उनके परिजनों का इंतजार करते है।
अस्थियों के नीचे लिखा जाता है नाम और पता
श्मशाम घाट में अस्थियों को संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। क्योंकि अस्थियां जिनकी हो उसको ही उपलब्ध हो इसलिए अस्थियांे के नीचे मृतक का नाम और पता रखा जाता है। पहले इन अस्थियों को लॉकर में रखा जाता था, लेकि अब इनकी संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण इन अस्थियां दिवार पर काटी के सहारे लटका दिया जाता है। सभी अस्थियों को निःशुल्क रखा गया है।
मृतक को नहीं मिलता है मोक्ष
हिंदू धर्म के अनुसार जब तक अस्थियां गंगा मे प्रभावित नहीं किया जाता है तब तक मृतक के आत्मा को मोक्ष की प्राप्ती नहीं होती है। इस सबंध मे कर्मकांड कराने वाले पुरोहित देव प्रसाद तिवारी ने कहा कि हिंदू धर्म मे मान्यता है कि आदमी के मरने के 10 दिन के अंदर उन अस्थियों को गंगा मे जाकर प्रभावित कर देना चाहिए। जिससे मृतक के आत्मा को शांति मिल सके।