इंदौर। अंगदान के मामले में इतिहास रचने वाले इंदौर शहर में सोमवार की सुबह सातवीं बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। मनावर जिले के जाजमखेड़ी गांव के मजदूर परिवार का बेटा और चार बहनों का इकलौता भाई पप्पू पिता रमेश डाबर इस दुनिया में न रहा, लेकिन वह जाते जाते दूसरों की जिंदगियां रोशन कर गया।
लिवर, दिल जहां दिल्ली में अलग-अलग मरीजों को लगेंगे, वहीं दोनों किडनी दो मरीजों को लगेंगी। दोनों आंखें फि लहाल एमकेआय इंटरनेशनल को दी गई हैं, जो भी दो अलग-अलग मरीजों को लगाई जाएंगी। इसके साथ ही त्वचा भी दान की गई है।
पहली बार शहर में अरबिंदो अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण हुआ। यहां से एयरपोर्ट के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जहां अरबिंदो से 7 बजकर 26 मिनट पर निकले लिवर और दिल मात्र 9 मिनट में 7 बजकर 35 मिनट पर एयरपोर्ट पहुंच गए। यहां से जेट की 8 बजकर 10 मिनट की नियमित फ्लाइट से यह दिल्ली के लिए रवाना हुए जो सुबह लगभग 9.30 बजे दिल्ली पहुंच गए। इसके बाद एक किडनी अरबिंदो अस्पताल में ही मरीज को लगाई जाएगी तो दूसरी किडनी के लिए अरबिंदो से ग्रेटर कैलाश के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।
मामा ने पिता को समझाया
मुस्कान गु्रप के पास बे्रन डेड की सूचना पहुंची तो गु्रप के सदस्यों ने परिवार से संपर्क किया, लेकिन पिता को समझ नहीं होने के कारण वे अंगदान के लिए नहीं माने। आखिरकार जब उन्होंने पप्पू के मामा राजेंद्र वास्केल जो शिक्षक हैं उनसे संपर्क किया। मामा ने परिवार को समझाया तो वे अंगदान के लिए राजी हो गए।
पहली बार सरकारी अस्पताल पहुंचाए
मुस्कान ग्रुप के नरेश फुंदवानी ने बताया की पप्पू का दिल एम्स दिल्ली में एक मरीज को लगाया जाएगा, वहीं लिवर आईएसबीएस दिल्ली में एक अन्य मरीज को लगाया जाएगा। पहली बार दिल और लिवर दोनों शासकीय अस्पताल में भेजे गए हैं। ब्रेन डेड की सूचना मिलने के बाद से रविवार को मुस्कान ग्रुप के जीतू बगानी, संदीपन आर्य, दीपक बाबा व राजेंद्र माखीजा काउंसलिंग में लगे हुए थे। परिवार की रजामंदी के बाद आज सुबह से ग्रुप के हेमंत छाबड़िया, नरेश फुंदवानी, रोहित राजपाल व 15 साल का पीयूष छाबड़िया ने सुबह से मोर्चा संभाल रखा था।
दिल्ली से आए डॉक्टर
ऑपरेशन के लिए पप्पू को रात दो बजे ऑपरेशन थियेटर में शिफ्ट किया गया। दिल को अपने साथ ले जाने के लिए एम्स दिल्ली से डॉ. मिलंद अपनी टीम के साथ पहुंचे थे इसके बाद लिवर को आईएलबीएस दिल्ली के डॉ. किशोर कुमार अपनी टीम के साथ आए थे। वहीं शहर के डॉ. सौरभ चितले, डॉ. खनूजा, डॉ. रूबीना बोहरा, डॉ. सीपी सिंह व इनकी टीम ने ऑपरेशन कर पप्पू को कल से निगरानी में रखा था।
चार बहनों का भाई
पप्पू की उम्र महज 20 साल थी, लेकिन वह शादीशुदा था। ग्रामीण परिवेश में नाबालिग उम्र में ही उसकी शादी कर दी गई थी। उसका डेढ़ साल का बेटा भी है तथा वह चार बहनों के बीच इकलौता भाई था।
तीन दिन में दूसरी बार
शहर में यह पहला मौका है जब तीन दिनों में दूसरी बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया हो। दो दिनों पहले ही बड़वानी जिले के दुर्गेश मालवीय का दिल, लिवर और किडनियां दान की गई थीं।