जबलपुर। भारत नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने प्रदेश की जेलों में करोड़ों रुपए का घोटाला होने की आशंका जाहिर करते हुए सभी बिलों में विभागीय अधिकारियों से जवाब-तलब किया है। सनसनीखेज घोटाले का खुलासा होने के बाद जेल अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गर्इं हैं।
जेल में कैदियों को दिए जाने वाले कपड़े (वर्दी) भोजन एवं बीमार कैदियों के लिए फल, दूध एवं डाक्टरों द्वारा बाहर से मंगाई जाने वाली दवा के बिलों में भारी हेरफेर किया गया है। रिपोर्ट में प्रदेश की 11 सेंट्रल जेल सहित जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार में भी की गई खरीदी में हेराफरी होने की बात सामने आई है। इसके साथ ही जेल के वाहनों में लगने वाले डीजल की खपत और चलने वाले वाहन की डायरी में अंकित किलोमीटर में भारी अंतर है।रिपोर्ट में जबलपुर जेल से कुख्यात एवं पुलिस सुरक्षा से भागने का प्रयास कर चुके कैदियों की विडियो कॉन्फ्र्रेंसिग न कराने के सदंर्भ में जवाव-तलब किया गया है, जबकि जेल में इसके लिए 1 सर्बर, 4 कम्प्यूटर, 3 यूपीएस, 2 प्रिंटर, 2 बीएमडी सहित एक वेब कैमरा सरकार द्वारा दिया गया है।जेल में सजा काट रहे कैदियों से मुलाकात करने वालों का पूरा डेटा जेल प्रबंधन के पास उपलब्ध होना चाहिए। इसके लिए प्रदेश सरकार ने सभी 11 सेंट्रल जेलों को राशि आवंटित करते हुए विभागीय स्तर पर जेल अधीक्षकों को निर्देश जारी किए थे। आदेश के बावजूद जेल में मुलाकातियों की आमद-रवानगी रजिस्टर में लिखी जा रही है, जबकि मुलाकाती महिला-पुरुष की वीडियो सहित फोटो रिकॉर्ड में रखने की बात कही गई थी।