जहां चाह वहां राह
मन में समाज के लिए कुछ करने की चाह हो तो राह अपने आप निकल आती है। यह साबित कर दिखाया छोटे से शहर नकुड़ के नामदेव बंधुओं ने। संख्या बल काफी कम होने के बावजूद उन्होंने विट्ठल नामदेव मंदिर के निर्माण की राह निकाल ली। समाजबंधुओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से ‘नामदेव न्यूज डॉट कॉम’ यह स्पेशल रिपोर्ट पब्लिश कर रहा है
तब : पिछले साल नकुड़ के आर्य समाज भवन में नामदेव जी का 744 वां जन्मोत्सव मनाते समाजबंधु।
अब : नकुड़ में विट्ठल नामदेव मंदिर के लिए भूमि पूजन करते समाजबंधु। इस बार 745 वां जन्मोत्सव इसी भूमि पर मनाया गया।
नकुड़ (सहारनपुर)। कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो…यह बात नकुड़ के नौजवान नामदेव साथियों पर सटीक लागू होती है। जहां चाह, वहां राह की तर्ज पर ना केवल उन्होंने नामदेव मंदिर के लिए पर्याप्त जमीन का बंदोबस्त कर लिया बल्कि वहां भव्य मंदिर बनाने की कवायद भी शुरू कर दी है।
युवाओं के मन में टीस रहती थी कि नामदेव जयंती जैसा सामाजिक आयोजन भी अन्य समाजों के भवनों में मनाना पड़ता है। इसके लिए युवाओं ने कुछ करने की ठानी और प्रयास शुरू किए। शुरुआत में समाज का समर्थन नहीं मिलने के कारण उन्हें थोड़ी बहुत निराशा हुई लेकिन हिम्मत उन्होंने नहीं हारी। एक से दूसरा मिला, दूसरे से तीसरा और फिर कारवां बनता गया। उन्होंने नामदेव समाज ट्रस्ट नकुड़ का गठन किया और जुट गए विट्ठल नामदेव मंदिर का सपना सच करने में।
ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष मनीष नामदेव के शब्दों में ‘एक समय था जब नकुड़ में नामदेव मंदिर बनाने का ख्वाब मन में हिलोरे लेता था लेकिन समाज का समर्थन नहीं मिलने के कारण वह बार-बार टूट जाता था। नामदेवजी की कृपा रही कि दृढ़ इच्छाशक्ति कमजोर नहीं हुई। इसी बीच ऐसा ही सपना देखने वाले नीरज नामदेव से उनकी मुलाकात हुई। दोनों नामदेव बंधुओं ने मंदिर का सपना सच करने की ठानी और जुट गए। बस, फिर क्या था। समाज के अन्य बंधु उनसे जुड़ते गए। रोहित नामदेव, रजनीश नामदेव, अंकित नामदेव, मनीष नामदेव, राजीव नामदेव, सुरेश नामदेव, महेंद्र सिंह, सुरेश पाल, रेवारामजी, सोमपाल जी आदि साथ हुए और सभी लक्ष्य प्राप्ति में जुट गए।
संगठन मंत्री नीरज नामदेव ने बताया कि सभी ने टीम की तरह अथक प्रयास किया। इसका सुपरिणाम यह निकला कि पिछले साल नामदेव जयंती समारोह हमने आर्य समाज के भवन में मनाया था। इस बार हमने नामदेवजी का 745 वां जन्मोत्सव मंदिर के लिए क्रय की गई भूमि पर मनाया। यह भगवान विट्ठल की अनुकम्पा है। जल्द ही मंदिर निर्माण भी होगा।
मिथलेश देवी का योगदान सराहनीय
नामदेव समाज ट्रस्ट नकुड़ के अध्यक्ष सुरेश कुमार नामदेव ने बताया कि विट्ठल नामदेव मंदिर निर्माण का जो सपना समाजबंधुओं ने देखा था, उसे पूर्ण करने में स्व.धर्मपालजी की धर्मपत्नी मिथलेश देवी ने सराहनीय योगदान दिया। उन्होंने मंदिर के लिए 73 गज भूमि समाज को दान कर दी।
हालांकि यह जमीन छोटी थी और तंग गली में स्थित थी। इसलिए उस पर मंदिर बनाने के लिए समाजबंधु हिचकिचाने लगे। तब समाज बंधुओं ने सर्वसम्मति से निर्णय किया कि यह जमीन बेचकर बड़ी जमीन खरीदी जाए ताकि उस पर भव्य मंदिर बना सकें।
तब ट्रस्ट के संरक्षक एवं नीरज नामदेव के पिता रेवाराम जी ने प्रस्ताव दिया कि उन्होंने 160 गज जमीन दो साल पहले खरीदी थी। वे बिना किसी मुनाफे के दो साल पहले वाले रेट में ही यह जमीन समाज को उपलब्ध कराने को तैयार हैं। इस पर सर्वसम्मति से 73 गज वाली जमीन 8 लाख 11 हजार रुपए में बेच दी गई और 9 लाख 5 हजार रुपए में 160 गज जमीन खरीद ली गई। इस पर करीब 75 हजार रुपए रजिस्ट्री खर्च आया। कुल 1 लाख 69 हजार रुपए ट्रस्ट ने अपने पास से और दूसरी बिरादरी के लोगों से एकत्र करके जमीन खरीद को अंजाम तक पहुंचाया।
धूमधाम से हुआ था भूमि पूजन
विगत 11 दिसम्बर को नकुड़ के नामदेव समाज ने विट्ठल नामदेव मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। अब नामदेव समाज अपना यह सपना पूरा करने में जुट गया है। जल्द ही यहां भव्य मंदिर आकार लेगा।