उज्जैन। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में लगने वाले संतों के टेंटों को लेकर सुरक्षा इंतजाम पुख्ता रखने के निर्देश दिए गए हैं। मेला क्षेत्र में लगनेवाले टेंटों के कपड़े फायर प्रूफ होंगे वहीं दो टेंटों के बीच 8 मीटर का रास्ता फायर फाइटर के आने-जाने के लिए होगा। प्रत्येक टेंट में अग्निशमन यंत्रों के अलावा 200-200 लीटर के पानी के ड्रम रखना भी अनिवार्य होगा।
मेला क्षेत्र में लगाए जाने वाले बड़े एवं मध्यम आकार के टेन्ट और डोम इस प्रकार से बनाए जाएंगे कि टेन्टों के बीच फायर फायटर्स को आने-जाने के लिए कम से कम 8 मीटर का रास्ता उपलब्ध रहे। हीटर्स का प्रयोग किसी भी दशा में पंडाल में नहीं किया जा सकेगा। पंडाल के अन्दर भट्टी का प्रयोग भी नहीं होगा। आवश्यकता होने पर पृथक टीनशेड लगाकर बनाया जाएगा, जो पंडाल से अलग होगा। रसोई घर में स्टोव या चूल्हे के पास पर्दे नहीं होंगे। साधु सन्तों शिविरों और उनके भोजन गृहों के बीच की दूरी कम से कम 10 मीटर होगी। भोजन गृह शिविरों के नजदीक नहीं बना सकेंगे।
सुरक्षा की दृष्टि से झोपड़ी, टेन्ट या किसी भी संरचना में ज्वलनशील सामग्री जैसे- पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, स्पीरिट आदि सक्षम अधिकारी की लिखित अनुज्ञा के बिना नहीं रखी जाएगी। इसके लिए अलग से कैम्पों से कम से कम 50 मीटर की दूरी पर खुले स्थान पर स्टोर बनाया होगा। मेला क्षेत्र में फायर स्टेशन, मेला अधिकारी और नजदीकी पुलिस स्टेशन का नम्बर लिखा जाएगा। ताकि मेला क्षेत्र में आग लगने की समय रहते सूचना मिल सके। मेला क्षेत्र में प्रत्येक संरचना में आपातकालीन निकासी की योजना रहेगी।
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में व्यापारियों, संस्थाओं, साधु-संतों या अन्य व्यक्तियों को भवन, गुमटी, झोपड़ी या अन्य संरचना का निर्माण शीघ्र घांसफूस आदि से करने पर प्रतिबंध रहेगा। अस्थायी संरचना पंडाल या तंबू में योग्य एवं लाइसेंसधारक विद्युत इंजीनियर से ही विद्युत वायरिंग करवानी होगी। प्रत्येक परिपथ का लोड इंस्यूलेशन परीक्षण आदि निर्धारित मापदण्डों के अनुसार होगा। वायरिंग उत्तम गुणवत्ता वाले वल्फेनाइज्ड रबर केबल से की जाएगी। सभी जोड़ पॉर्सिलीन इन्यूलेटर कनेक्टर के माध्यम से जोड़े जाएंगे। पंडाल या तंबू में गैसबत्ती चिमनी के उपयोग में विशेष सावधानी रखना होगी। गैसबत्ती, पंडाल की छत से लटकाने की मनाही रहेगी। पंडाल में खुली आग का उपयोग नहीं होगा। किसी भी स्थिति में खुली वायरिंग का उपयोग नहीं होगा।
मेला क्षेत्र में स्थापित होने वाले विद्युत सुधार केन्द्रों पर चौबीस घंटे विद्युत कर्मचारी रहेगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि विद्युत बन्द होने पर उपकरणों के स्वीच बन्द कर दिए जाएं और विद्युत आने पर पुन: चालू कर दिए जाएं। विद्युत उपकरणों के मैंटेनेंस के लिए इलेक्ट्रिशियन पंडालों और टेन्टों में रखे जाएंगे।