वाराणसी। 36 घंटे निराजल व्रती महिलाओं ने अस्ताचल गामी सूर्य को नदी, सरोवर और गंगा में कमर भर पानी में खड़े रहकर अध्र्य दिया।
डाला छठ महापर्व में तीसरे दिन मंगलवार शाम गंगा किनारे और सरोवर कुण्डों के किनारे आस्था हिलोर मारती रही। छठ मइया से संतान सुख, परिवार की समृद्धि और अटल अहिवात की मनौती मांगी।
इसके पूर्व व्रती महिलाएं और उनके परिजन बांस से बनी सूप में गेहूं से बने ठेकुआ, खस्ता, मैदा से बने पडुकियां, चावल से बना केसार, नारियल, केला, गन्ना आदि अन्य मौसमी फल और दीप लेकर गंगा तट ओर सरोवरों की ओर चल पड़े। इस दौरान बहुत से व्रती परिवार के लोग मन्नत पूरा होने पर गाजे बाजे के साथ गंगा घाट पर पहुंचे।
पहले से छेके बेदी पर समुह में छठ मइया की कथा सुन विधि विधान से पूजन अर्चन कर अस्ताचंलगामी सूर्य को अध्र्य दिया। परिवार के सभी सदस्य बारी-बारी से उस सूप मे गंगाजल या शुद्ध जल धीरे-धीरे गिराते रहे। तत्पश्चात दुध से भी अध्र्य दिया गया। इस प्रकार अस्ताचल गामी सूर्य की पहली पूजा सम्पूर्ण हुई।
इस दौरान घाटों पर व्रती महिलाएं और उनके साथ आई महिलाएं परम्परागत गीत गा रही थीं। इसके बाद घर आकर व्रती महिलाओं ने कोसी भरी। ईख के घरौंदे बनाकर नए कपड़े की छाजनी डाल मिट्टी के पूजन सामग्री व फल आदि सजाकर दीया जलाया। इसकी के साथ शाम की पूजा समाप्त हुई। व्रती महिलाएं बुधवार को उदयाचलगामी सूर्य को अध्र्य देकर व्रत का पारण करेंगी।