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बारसा में बरसा भक्ति रस, हजारों नामदेव बंधु विभोर

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दो दिवसीय जगमोहन का जगराता कार्यक्रम सम्पन्न
पाली। राजस्थान के पंडरपुर के नाम से विख्यात बारसा धाम में दो दिवसीय जगमोहन का जगराता कार्यक्रम भक्तिभाव से सम्पन्न हुआ। इसमें भाग लेने नामदेव समाज के हजारों लोग पहुंचे और भक्ति रस से सराबोर हुए। श्री नामदेव जगमोहन मंदिर सेवा संस्थान के बैनरतले तथा ब्रह्मलीन मोहनानंद महाराज के आशीर्वाद से आयोजित इस धार्मिक मेले में सोमवार को लोग नाचते-गाते पालकी लेकर पहुंचे। महिलाएं नृत्य कर रही थीं। शाम मंच कार्यक्रम में संतों व अतिथियों का स्वागत किया गया। इसके बाद बोलियां लगाई गईं। समाजबंधुओं ने बढ़-चढ़कर बोलियां लगाकर अपनी श्रद्धा का परिचय दिया।

समारोह में पूरे मेले में भोजन प्रसादी देने वालीं सीता देवी व हनुमानजी का स्वागत किया गया। समारोह में प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया। समारोह में बड़ा रामद्वारा (खेडापा) केरिया दरवाजा पाली के रामस्नेही संत सुरजनदास महाराज ने बच्चों के बेहतर पालन-पोषण व उन्हें संस्कारवान बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों को धार्मिक शिक्षा अवश्य दी जानी चाहिए। धार्मिक शिक्षा से उनमें संस्कार आएंगे और वे बेहतर जीवन जी सकेंगे।
श्री नामदेव छीपा समाज महासभा समिति राजस्थान प्रांतीय के अध्यक्ष प्रेमसुख कांकरवाल व फालना के समाजसेवी ठाकुर अभिमन्यु सिंह ने समाज की कुरीतियां मिटाने का आह्वान करते हुए शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही। समारोह में संत नामदेव जी का स्वरूप धरे सज्जन लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहे।

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समारोह के बाद रात में जगमोहन भगवान की भजन संध्या हुई। इसमें कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं। सर्द रात होने के बावजूद श्रद्धालुओं ने भजनों का भरपूर आनंद उठाया। रजाई आदि ओढ़कर वे रातभर भजन संध्या में भाव-विभोर होते रहे।

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शोभायात्रा निकाली
मेले के अगले दिन मंगलवार सुबह संत नामदेव की शोभायात्रा निकाली गई। इसमें दूरदराज से आए नामदेव बंधुओं के साथ ही आसपास के गांवों के सभी समाजों के लोग शामिल हुए। दोपहर में महाप्रसादी के साथ दो दिवसीय मेले का विसर्जन हुआ।
इनका रहा सहयोग
बारसाधाम में आयोजित इस दो दिवसीय मेले की तैयारियां कई दिनों से चल रही थीं। मेले की व्यवस्था उत्तम रही जिसे लोगों ने खूब सराहा। व्यवस्थाओं में सीताराम टाक, पूरन चंद परमार, गिरधारी लाल टंडी, हिम्मत मल परिहार, भंवरलाल परिहार, रमेश परमार, प्रताप जी, मागाराम जी नोखा, मदन मोहन पायक, मोहनलाल नेनीवाल समेत अन्य समाजबंधुओं का सहयोग रहा।
उत्साह से पहुंचे लोग
बारसा मेले में भाग लेने के लिए दूसरे शहरों से नामदेव समाजबंधु समूह में पहुंचे। कोई बस लेकर आए तो कोई निजी वाहनों से। इससे गांव की रंगत ही बदल गई। नामदेव समाज बंधु संत नामदेव की चमत्कारस्थली के दर्शन कर अभिभूत हो गए। वे मंदिर व भगवान जगमोहन की प्रतिमा की फोटो खींच यादों में समेटकर अपने साथ ले गए। मेले में राजस्थान समेत गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से नामदेव समाज बंधु पहुंचे। यह आयोजन समाज का ‘कुम्भ’ बना नजर आया।

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राजस्थान का पंढरपुर है बारसाधाम
किंवदंती है कि संत नामदेव जब उत्तर भारत की यात्रा पर थे तब वे पाली जिले के एक गांव में ठहरे। वहां एक मंदिर में संत नामदेव ने भगवान वि_ल का कीर्तन प्रारंभ किया। यह पता लगते ही कीर्तन सुनने बहुत लोग एकत्र हो गए। सभी कीर्तन सुनने में तल्लीन हो गए।

इतने में ही कुछ विरोधी लोग आ धमके और शोर-शराबा करने लगे। विरोधियों ने क्रोध में नामदेव जी से कहा कि अगर आपको कीर्तन ही करना है तो पंढरपुर जाएं। विरोधियों ने नामदेव जी से कहा, ”तुम्हारे कीर्तन के कारण मंदिर में आने का मार्ग बंद हो गया है । अगर तुम्हे कीर्तन करना ही है तो मंदिर के पीछे जाओ।”

यह सुनकर नामदेव ने विरोधियों को साष्टांग नमस्कार किया और मंदिर के पीछे पहुंच गए। वहां उन्होंने फिर से कीर्तन प्रारंभ किया। अचानक चमत्कार हुआ। यकायक मंदिर उस दिशा में घूम गया जहां नामदेव जी कीर्तन कर रहे थे। जिसने भी यह चमत्कार देखा, वह दंग रह गया और संत नामदेव के चरणों में साष्टांग हो गया। यही स्थान अब बारसाधाम के नाम से पहचाना जाता है।

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