न्यूज नजर : सदियों से आज तक भाग्य और कर्म के खेमे अलग-अलग रहे हैं। भाग्य अपना घोषणा पत्र जारी नहीं करता और कर्म हर तरह से संकल्प विकल्प तथा सभी तरह के दृष्टिकोणों को मद्देनज़र रखकर अपने मार्ग की ओर बढता है। वह हर तरह से मशक्कत करता हुआ …
Read More »घोल घोल पावे म्हाने खारी खारी बूटी रे…
# post 1192 न्यूज नजर : मन जब इच्छाओं का गुलाम होता है तो वह दुनिया में अपनी महंगी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए अपनी खुशी को किसी भी मूल्य पर खरीदने के लिए संघर्ष पर उतारू हो जाता है और मनोरोगी बन जाता है। जैसे …
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