अजमेर। दीन हीन सुदामा जब कृष्ण के राजमहल पधारे तो ठाकुरजी खुद सिंहासन से उठे और नंगे पैर ही द्वार तक दौडे चले आए। बरसों बाद अपने बाल सखा को देख ठाकुरजी प्रफुल्लित हो उठे। मित्र सुदामा को अपने सिंहासन पर विराजमान कर द्वारकाधीश उनके चरण पखारने लगे। परम भक्त …
Read More »