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Tag Archives: धर्म का मर्म

तू कांई जाणे बावला यां देवां की रीत…

धूर्त और लोभी व्यक्ति अपने फटे हुए भाग्य के कपडो को देख हैरान हो जाता है। तब वो एक बदनीयत चाल चल कर, सज्जनता व सरलता का चोला पहन लेता है और अपने भाग्य के फटे कपड़े पर पैंबंद लगवाने के लिए दर दर भटक रहता है। इंसान से जब …

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