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Tag Archives: जोगणिया धाम

आंखों में आंसू लिए कोई पास खड़ा था मेरे…

न्यूज नजर : महाभारत काल की घटना थी। कौरवो ने पांडवों के मरवाने की योजना बनाई। एक लाक्षा गृह का निर्माण करवाया तथा पांडवों को उसमें ठहराकर लाक्षा गृह मे आग लगवा दी। देखते ही लाक्षा गृह जल कर राख हो गया। कौरव खुश हो गए कि पांडवों का अंत …

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शरण तुम्हारी… मैं तो शरण तुम्हारी…

न्यूज नजर: अपनी कार्य योजना को फलीभूत ना होते हुए देखता हुआ मन जब हताश और निराश हो जाता है तो वह मौन होकर बैठ जाता है और सोच में पड जाता है कि पहाड़ों जैसी इस विपदा पर कैसे विजय पाई जा सकती है। विपत्तियों के इस महादैत्य का …

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समझ ना आये माया तेरी बदले रंग हजार

  न्यूज नजर : फकीर मस्ती में मस्त हो कर यह गाता जा रहा था कि ऐ दुनिया के रखवाले आखिर तू क्या करना चाहता है। इसकी थाह तो दिखाई नहीं देती लेकिन इतना जरूर समझ में आता है कि तू हर बार रंग बदल बदल कर अपने खेल को …

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” राम रत्न” धन पायो, जीवन सफल बनायो

  न्यूज नजर : थाली में सजाकर हर रत्न को तोहफे में बांटना बडा आसान होता है क्योंकि वो बांटने वाले की मेहरबानी पर ही निर्भर करता है कि यह तोहफा किसे और क्यों दिय़ा जाय। प्रतिस्पर्धा के तोहफे तो योग्यता पर आधारित होते हैं पर कई तोहफे योगदान उपस्थिति …

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केसर घुल गई गारा में…

न्यूज नजर :  एक सुन्दर मकान बना कर उसमें कांच की खूबसूरत नक्काशी कर दी गई। जिसमें कोई भी एक वस्तु सभी तरफ से दिखती थी। उस कांच के सुन्दर मकान में हरा हरा चारा डाल दिया गया और एक पशु को उस मकान में प्रवेश करवाया। मकान के बीचो-बीच …

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घणी गई, थोडी बची, अब तो संभल जा बावला

न्यूज नजर : उम्र की मंजिल पर चढते हुए व्यक्ति के जीवन के आखरी पडाव की शाम कब ढल जाएगी इसकी थाह पाना मुश्किल होता है, फिर भी व्यक्ति अपनी मनमानी करते हुए अपने लक्ष्यों की ओर बढता है। येन केन प्रकारेण ढंग से लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए …

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मैं आग हूं, जलाती हूं, नाम और जाति नहीं पूछती

  न्यूज नजर : विभिन्नता में एकता की एक सुन्दर प्रस्तुति करती हुई आग यह संदेश देती है कि हे मानव कि मैं जलाने में किसी से भी कोई परहेज नहीं करती। चाहे चंदन की लकड़ियां हों बबूल के कांटे। मेरा धर्म केवल जलाना है। इसलिए व्यक्ति किसी भी धर्म, …

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चन्द हसरतें उजाड़ती रहीं गुलशन

न्यूज नजर : चन्द हसरतें व्यक्ति, समाज, संस्कृति और व्यवस्था को तहस-नहस कर देती हैं। समूचा ढांचा जर्जरित हो कर गिरने की शुरुआत करने लग जाता है। चाहे यह ढांचा सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनैतिक, भौगोलिक या फिर सांस्कृतिक ही क्यो ना हो। ये हसरतें अपने को सफल बनाने के प्रयास …

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