न्यूज नजर : काश यह धरती अग्नि साधना नहीं करती तो जगत में जल नहीं होता और जीवन भी नहीं होता। प्रकृति ने इस स्थिति को संतुलित कर पृथ्वी को चलायमान कर दिन व रात तथा ऋतु परिवर्तन जैसी स्थितियों को उत्पन्न किया। इस ऋतु परिवर्तन के कारण ही …
Read More »वही अर्जुन और वही बाण…
न्यूज नजर : कहा जाता है कि समय बडा बलवान होता है लेकिन समय तो अपनी ही गति के साथ चलता रहता है और वो सदियों से आज तक जैसा था वैसा ही चल रहा है। वहीं दिन और वही रात सदियों से चली आ रही है। …
Read More »घोल घोल पावे म्हाने खारी खारी बूटी रे…
# post 1192 न्यूज नजर : मन जब इच्छाओं का गुलाम होता है तो वह दुनिया में अपनी महंगी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए अपनी खुशी को किसी भी मूल्य पर खरीदने के लिए संघर्ष पर उतारू हो जाता है और मनोरोगी बन जाता है। जैसे …
Read More »मृत आत्मा का तर्पण और वैशाख मास
न्यूज नजर : भारतीय संस्कृति आत्मा और पुनर्जन्म के सिद्धांतों को मानती है। जो जीवन शक्ति हमारे शरीर को संचालित करती है उसे ” आत्मा ” कहा जाता है। व्यक्ति के जीवन से पहले और मृत्यु के बाद यह आत्मा किस अवस्था में रहती हैं इसका विषद और गहनतम …
Read More »रोटी और पानी, बस यही सार है
न्यूज नजर : रोटी और पानी दुनिया की मूलभूत आवश्यकता है, चाहे वो आदिमानव रहा हो या आधुनिक मानव।सभी रोटी और पानी पर ही जिन्दा रहा है,भले ही यह किसी भी रूप में भक्षण और ग्रहण किए जाते हैं। श्रम बुद्धि ज्ञान बल या विज्ञान और कला अमीरी-गरीबी …
Read More »ग्रीष्म ऋतु में तपने लगा वैशाख, जल और छाया दान मास
न्यूज नजर : सूर्य अपने उच्च स्थान मेष तारामंडल के सामने से गुजर रहा है और ग्रीष्म ऋतु को प्रारम्भ कर चुका है। 20 अप्रेल को सूर्य की सायन संक्रांति वृष शुरू हो चुकी है और उसी के साथ ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ हो चुकी है। जबकि निरयन मत में सूर्य 15 मई …
Read More »जल कर राख हुई उस होली के ये बयां थे
न्यूज नजर : हे जगत सराय के मुसाफिर तूने अपनी जीत के लिये मुझे जला डाला ओर राख़ बना डाला । मै जलती रही और तू आनंद मना रहा था, चंग की थाप पर उमंगो के वीर रस के डंडे बजा रहा था। मन के आंगन में फैली गंदगी को …
Read More »राहू और केतु राशि परिवर्तन हुआ, जानिए क्या होगा असर
न्यूज नजर : जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण मानव अपने गत अनुभव और बदलती स्थितियों तथा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हर क्षेत्र में योजना को बनाकर भविष्य में अपने कार्यों की रूपरेखा तैयार करता है। कर्म के इस मार्ग को सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, आर्थिक, शारीरिक तथा प्राकृतिक कारण प्रभावित करते …
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