न्यूज नजर : मेष राशि के तारामंडल में भ्रमण करता हुआ सूर्य मानो ऐसा लगता है कि वह धरती पर आग के शोले बरसा रहा है और हर दिन वह अपनी गरमी को बढा रहा है। हर दिन जल स्त्रोतों को सूखाता हुआ पानी को भांप बना कर बादलों का …
Read More »आग बरसाता हुआ मेष राशि का सूर्य …
न्यूज नजर : पृथ्वी की दैनिक गति दिन रात बनाती है और वार्षिक गति ऋतुओं का परिवर्तन करती है सूर्य की परिक्रमा करते हुए। सूर्य भी अपनी धुरी पर भ्रमण करता हुआ बारह राशियों पर भ्रमण कर लेता है। सूर्य मेष राशि मे यात्रा प्रारभ कर जब पुनः मेष …
Read More »हनुमान जयंती पर विशेष : जाग जाग हनुमान हुंकाला
अपने अधिकारों से उत्पात मचाता हुआ और दायित्वों से बचता व्यक्ति सर्वत्र हर क्षेत्रों पर जब मर्यादा से भी आगे बढकर अतिक्रमण करने लग जाता है तो ऐसा लगता है कि यह व्यक्ति इंसानी हरकत नहीं शैतानी हरकतों पर उतर गया है। वह अपने भूतकाल के हर अवगुणों को सजाता …
Read More »तू कांई जाणे बावला यां देवां की रीत…
धूर्त और लोभी व्यक्ति अपने फटे हुए भाग्य के कपडो को देख हैरान हो जाता है। तब वो एक बदनीयत चाल चल कर, सज्जनता व सरलता का चोला पहन लेता है और अपने भाग्य के फटे कपड़े पर पैंबंद लगवाने के लिए दर दर भटक रहता है। इंसान से जब …
Read More »नवरात्रि विशेष : यह है तंत्र शास्त्र की अनोखी दुनिया
न्यूज नजर : तंत्र की अपनी दुनिया ही निराली है। एक समय था जब तंत्रों का साधक, क्षण भर में तंत्रों के माध्यम से दुर्लभ से दुर्लभ कार्य क्षणभर में करवा लेता था। चरम विकसित इस सभ्यता का धीरे-धीरे लोप हो गया। कारण, तंत्रों के जानकार व्यक्तियों ने यह विद्या …
Read More »काम और क्रोध भस्म करने का पर्व होली
न्यूज नजर : काम और क्रोध जब इस सृष्टि शून्य हो जाता है तो प्राणी अति आनंदित होकर अपने अपने कार्य को सफलता पूर्वक संपन्न कर लेता है । काम की भावना ना होने से सच्चे प्यार प्रेम की उत्पत्ति होती है और क्रोध ना होने से सभी प्राणियों में …
Read More »फूलों से शिवलिंग बनाकर पूजने से मिलेगा भूमि मकान का लाभ
शिव पूजन और धार्मिक मान्यताएं… लिंग थापि विधिवतकरी पूजा शिव समान प्रिय मोहि न दूजा लंका पर आक्रमण करने से पूर्व श्रीराम ने शिवलिंग की विधिवत स्थापना कर उसका पूजन किया। उसके बाद सेतु निर्माण करा लंका के राजा रावण को मार डाला और विजय प्राप्त की। लिंग पुराण …
Read More »चांद के पार चलो …
काश आकाश में चांद ना होता तो धरती के चांद की उपाधियाँ ही बदल जातीं। दूज का चांद, करवा चौथ का चांद, चौदहवीं का चांद और पूर्णिमा का चांद। दूज का चांद नव उत्कर्ष का आरंभ करता है तो करवा चौथ का चांद सुहागिन के सुहाग को अमर रखने का …
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