न्यूज नजर : प्रकृति अपना संदेश ऋतुओं को दे कर कहने लगी कि हे ऋतुएं जरा संभल कर अपने गुण धर्म को लागू करना अन्यथा सृष्टि का संतुलन बन नहीं पायेगा। अपने आधार को मजबूत रखना ताकि बदलते हुए आकाशीय ग्रह नक्षत्रों व पिंड तुम्हारे गुण धर्म को प्रभावित ना कर सके। …
Read More »घोल घोल पावे म्हाने खारी खारी बूटी रे…
# post 1192 न्यूज नजर : मन जब इच्छाओं का गुलाम होता है तो वह दुनिया में अपनी महंगी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए अपनी खुशी को किसी भी मूल्य पर खरीदने के लिए संघर्ष पर उतारू हो जाता है और मनोरोगी बन जाता है। जैसे …
Read More »” राम रत्न” धन पायो, जीवन सफल बनायो
न्यूज नजर : थाली में सजाकर हर रत्न को तोहफे में बांटना बडा आसान होता है क्योंकि वो बांटने वाले की मेहरबानी पर ही निर्भर करता है कि यह तोहफा किसे और क्यों दिय़ा जाय। प्रतिस्पर्धा के तोहफे तो योग्यता पर आधारित होते हैं पर कई तोहफे योगदान उपस्थिति …
Read More »धूल चश्मों पर थीं वो नजरें बदलते रहे
न्यूज नजर : धूल जब चश्मों पर लगी हुई होती हैं तो आंखें धोने से कोई फायदा नहीं होता है क्योकि धूल भरे चश्मे दिखने वाले दृश्यो की कहानी को बदल देते हैं। जब नजरिए बदले हुए होते हैं तो आंखें कुछ भी नहीं कर पाती केवल वो अपने ही …
Read More »केसर घुल गई गारा में…
न्यूज नजर : एक सुन्दर मकान बना कर उसमें कांच की खूबसूरत नक्काशी कर दी गई। जिसमें कोई भी एक वस्तु सभी तरफ से दिखती थी। उस कांच के सुन्दर मकान में हरा हरा चारा डाल दिया गया और एक पशु को उस मकान में प्रवेश करवाया। मकान के बीचो-बीच …
Read More »और घणा ही आवसी इन दुनिया के माय, सदा हंस ही याद किए जाएंगे बगुले नहीं
न्यूज नजर : कुदरत ने अंतिम विकल्प के रूप में किसी को भी उत्पन्न नहीं किया और ना ही एक व्यक्ति को ही सर्व गुण संपन्न रखा। हर व्यक्ति वस्तु स्थान को कई गुणों से भरा तो उसमें उन कमियों को भी छोड़ दिया जो सदा बिना जबाब …
Read More »मनभेद की तलवार हकीकत को भटकाती है
मनभेद दुनिया की वो जागीर होती है जिसके दस्तावेज पर नफरत के हस्ताक्षर होते हैं। इन दस्तावेज में उन कहानियों को दर्ज कर दिया जाता है जो हकीकत की दुनिया से दूर ओर बहुत दूर होती है। कुंठा जलन ईर्ष्या की स्याही और भेद …
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