न्यूज नजर : संस्कृति के सागर में मर्यादा और अमर्यादा दोनों ही उलझ पड़ी। दोनों ही अपनी-अपनी विशेषता के तराने ढोल नगाड़े और शहनाइयों की गूँज में सुनाने लगी। दोनों ने ही दमदारी दिखाई और कम नहीं पड़ी। क्योंकि दोनों ही बुद्धि की फसलें थी। मर्यादा की फसल पर अमर्यादा के …
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