मेरे समाज बंधुओं.. समाज सर्वोपरि है, समाज के बिना नहीं व्यक्ति का अस्तित्व है और नहीं समाज बिना व्यक्ति का वजूद… अरस्तू ने सही कहा जो व्यक्ति समाज में नहीं रहता या तो पशु है या भगवान…. हमेशा सुनता आया की समाज के पंचों के फैसले दैवीय और न्यायक फैसले …
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