राज नर्तकी ने बडे अदब से राजा को सलाम किया और राज्य में होने वाले सालाना कार्यक्रम में अपना नृत्य प्रस्तुत किया। उसकी भाव भंगिमाएं सुर-ताल के अनुरूप अपना अदब प्रस्तुत कर रहीं थी। राजा को रिझाने वाले उसके प्रदर्शन मे कला थी प्रेम ना था । राजदरबार में बैठी …
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