मैंं जबलपुर में आयोजित नामदेव समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में स्वयं उपस्थित हुआ। लगभग 800 से 1000 लोग सम्मेलन में उपस्थित हुए, सभी से मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई। इसके लिए जबलपुर आयोजक समिति बधाई की पात्र है परंतु में सम्मेलन में भोजन करने के लिए ‘पहले कूपन कटवाओ’ कुप्रथा का जो अब लगभग समाप्त हो चुकी है, का विरोध करता हूं।
जब प्रत्येक शहर से आपने जबलपुर सम्मेलन के नाम पर चंदा पहले ही ले लिया था तो गरीब समाज से खाने के नाम पर पैसे क्यों लिया जाए। मेरा मानना है जब गरीब समाज के विकास की बात की जाए तो कम से कम उन्हें भोजन तो चंदे के पैसे से नि:शुल्क उपलब्ध कराएं। जबकि चंदा पहले ही पर्याप्त इकट्ठा किया जा चुका था।
मैंं स्वयं नामदेव समाज विकास परिषद के पदाधिकारी के साथ पूरी कटनी के समाजबंधुओं से चंदा लेने पहुंचा था। अब वे मुझसे पूछ रहे हैं कि हमसे चंदा किस बात का लिया गया जब भोजन के नाम पर कूपन ही कटवाने थे और इतना चंदा एकत्रित हुआ था तब भी खाने के लिए कूपन कटवाने की जरूरत पड़ी।
चंदे का उपयोग गरीब समाजबंधुओं को मुफ्त भोजन कराने और उनकी सेवाओं के लिए ही किया जाना था ना कि वीआईपी लोगों के लिए महंगे होटल रूम लेने, उनके लिए फोरव्हीलरों में पेट्रोल तथा उनके लिए ढेरों मालाओं पुष्पों और बाहरी आडंबरों के लिए। क्या गरीब लोगों के पैसों की बर्बादी को कुछ चंद लोगों के सामाजिक रसूख को बढ़ाने का जरिया ही बनाया जाता रहेगा ?
अगर गलत कहा हो तो क्षमा चाहूंगा मगर मेरा मानना यही है कि गरीब समाजबंधु जो पैसे लगाकर सम्मेलन में आ रहे हैं, उन्हें कम से कम भोजन तो नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाना चाहिए जबकि चंदे की राशि पहले ही पर्याप्त एकत्रित की जा चुकी हो।
ब्रजेश नामदेव,
भारतीय रेलवे, कटनी
यह रखा पक्ष
इस सम्बन्ध में परिषद के उपाध्यक्ष एवं आयोजन समिति के सह संयोजक अनिल उजीड़ ने नामदेव न्यूज डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए महज 10 रुपए का कूपन रखा गया था। लोग भीड़ एकत्र न करें और समय पर पहुंचें तथा बाहरी लोग न आएं, इसलिए 10 रुपए के कूपन की व्यवस्था रखी थी।
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