न्यूज नजर : आज विश्व पृथ्वी दिवस है। पृथ्वी हमारे सौरमंडल का तीसरा और केवल ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संभव है। यूं तो पृथ्वी की संरचना लगभग करोडों साल पहले हुई थी पर पृथ्वी का अंत कब और कैसे होगा इसका सही-सही अनुमान अभी तक कोई नही लगा पाया है।
इस खबर में हम आपको बताएंगे की पृथ्वी पर जीवन का अंत किस तरह हो सकता है। यह थियोरीस 100 प्रतिशत सही-सही नहीं है पर फिर भी यह हमें एक झलक दे सकती है की पृथ्वी पर जीवन का अंत किस तरह होगा।
1. शुद्र गृहों से टकराव: शुद्र गृह यानि की एस्ट्रॉयड। पहले हम जानेंगे की शुद्र गृह क्या होता है और यहां कहा पर है। शुद्र गृह या एस्ट्रॉयड वो पत्थर हे जो ब्रमांड में घूम रहे है और जो की हमारे सौरमंडल के गृहों की भाति सूर्य की परिक्रमा करते हैं। वैसे तो यह पूरे ब्रमाण्ड में हैं पर हमारे सौरमंडल में यह मंगल और बृहस्पति गृह के बीच में एस्ट्रॉयड बेल्ट में पाए जाते हैं और जिसमें करोडों एस्ट्रॉयड हैं जो सूर्य कि परिक्रमा कर रहे हैं।
ऐसा ही एक एस्ट्रॉयड एपोफ़िस जो की माना जा रहा था की धरती से 2036 में टकराएगा जो की 300 मीटर चौडा था। यू तो इसका आकर पृथ्वी से काफी छोटा था पर अगर ये पृथ्वी से टकराता तो इतनी ऊर्जा पैदा होती जो की एटम बम से लगभग एक लाख गुना ज्यादा होती।
जो की पृथ्वी पर जीवन को नष्ट करने के लिए काफी थी। पर हमारे वैज्ञानिकों का अनुमान गलत गया और यह एस्ट्रॉयड 2013 में पृथ्वी के पास से निकल गया।
2. ज्वाला मुखी का फटना: ज्वाला मुखी के फटने में पृथ्वी पर जीवन को बहोत बार अस्त-व्यस्त किया है। 1816 में एक छोटे सा ज्वालामुखी लगभग 1,50,000 लोगो की जान ले गया पर दोस्तों जरा सोचिये अगर सुपर वोल्केनो फट जाए तो क्या होगा। क्योकि जहाँ साधारण वोल्केनो में लगभग एक किलोमीटर क्यूब तक का मेग्मा होता हे वही सुपर वोल्केनो में लगभग एक हजार किलोमीटर क्यूब तक का मेग्मा होता हे। और सुपर वोल्केनो के फटने से बहोत बड़े धूल के गुब्बारे बन जाएंगे जो की सूर्य की किरण को धरती पर सालो तक नही आने। जिससे पृथ्वी का तापमान बहोत कम हों जाएगा जो की धरती पर जीवन को अंत कर देगा।
3. नष्ट होते सितारे: यूं तो आकाश में टिम-टिमाते सितारे बहुत सुन्दर दिखते हैं पर यह भी धरती में जीवन को अंत करने का कारन बन सकते हैं। जब दो नष्ट होते सितारे आपस में मिलने लगते है तो वह गामा किरणों का एक सुपरनोवा बनाते हैं और जो की इतनी शक्तिशाली और चमकदार होती हे की वह हमारी धरती को कुछ ही पल में नष्ट कर सकती है।
हमारी धरती ही नहीं बल्कि यह अपने दायरे में आने वाली हर चीज को नष्ट कर देती है। वैसे ब्रमाण्ड में यह प्रक्रिया होती रहती हे पर यह प्रक्रिया पृथ्वी से बहुत दूर होती रहती है इसलिए हमारी धरती और सौरमंडल पर उसका असर नहीं पड़ता।
4. सूर्य में होते विस्फोट: सूर्य पर हमेशा अलग-अलग तरह के विस्फोट होते रहते हैं और उसमे से एक है सौलर फ्लायर्स। यह ऐसे चुम्बकीय विस्फोट हैं जिनके कारण सब एटॉमिक पार्टिकल धरती पर पहुंच जाते हैं जो की हमारे कम्युनिकेशन सिस्टम को बंद कर सकते हैं और हमारे गृह की सारी बिजली और टेक्नोलॉजी को ठप कर सकते हैं।
यह सारा काम इन विस्फोट से निकले सब एटॉमिक पार्टिकल करते हैं जो की सूर्य से निकलकर पृथ्वी कि तरफ लगभग 64,000,00 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से यहां आते हैं। वैसे तो यह सूर्य से निकलते रहते हैं पर हमारी धरती का चुम्बकीय क्षेत्र हमें इससे बचाता रहता है पर अगर कोई सोलर फ्लेयर ज्यादा शक्ति का हुआ तो वह पृथ्वी पर भारी तबाही मचा सकता है।
वह हमारे पूरे कम्युनिकेशन सिस्टम को बंद कर सकता है और हमारी पूरी टेक्नोलॉजी को ठप कर सकता है और जिसके कारण हमारे पूरे गृह पर हमेशा के लिए अंधेरा छा जाएगा और जिससे हमारा गृह धीर- धीरे मौत की आगोश में जाता जाएगा।