नई दिल्ली। चांद आज भारत की मुट्ठी में आते-आते फिसल गया। शुक्रवार देर रात चांद की सतह पर उतरने के दौरान ऐनवक्त पर चंद्रयान-2 का संपर्क टूट गया। इससे भारत एक उपलब्धि हासिल करते-करते रहे गया। हालांकि भारत ने इतिहास रच दिया है।
विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान अंतिम क्षणों में विक्रम से ISRO का संपर्क टूट गया है। ISRO ने घोषणा की है कि विक्रम का संपर्क टूक गया है। विक्रम और प्रज्ञान कहीं खो गए हैं। लेकिन अब ऑर्बिटर पर सारी उम्मीद टिकी है। चंद्रयान-2 के तीन हिस्से थे – ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान। फिलहाल लैंडर-रोवर से संपर्क भले ही टूट गया है, लेकिन ऑर्बिटर अच्छी तरह काम कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद इस मौके पर इसरो में मौजूद थे। उन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों की भरपूर प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें और पूरे देश को उनकी योग्यता पर नाज है।
ये जिम्मेदारियां निभाएगा ऑर्बिटर
ऑर्बिटर इस समय चांद से करीब 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर लगा रहा है। 2379 किलोग्राम वजन वाला ऑर्बिटर यहां कई अहम जिम्मेदारियों को अंजाम देगा। ऑर्बिटर बेंगलुरु में स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आइएसडीएन) से संपर्क में रहेगा।
ऑर्बिटर पर लगा लगा पेलोड टेरेन मैपिंग कैमरा हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरों की मदद से चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा। इससे चांद के अस्तित्व में आने से लेकर इसके विकासक्रम को समझने में मदद मिलेगी।
इसी तरह इमेजिंग आइआरएस स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से यहां की सतह पर पानी और अन्य खनिजों की उपस्थिति के आंकड़े जुटाने में मदद मिलेगी। चंद्रयान-2 पर लगा लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर यहां सतह पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश के आधार पर यहां मौजूद मैग्नीशियम, एल्यूमिनियम, सिलिकॉन आदि का पता लगाएगा।