News NAZAR Hindi News

धरती में गाड़ा टाइम कैप्सूल, ताकि आने वाली पीढ़ी देख सके विरासत

जालंधर। प्राचीन सभ्यताओं की जानकारी हमें खुदाई से मिली है। खुदाई में मिली वस्तुओं के अध्धयन से हमने पता लगाया कि सदियों पहले कितना समृद्ध विज्ञान हुआ करता था। अब आगामी जनरेशन को 21वीं सदी के आविष्कारों एवं तकनीक से अवगत कराने के लिए वैज्ञानिकों ने अनोखा कदम उठाया है।

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) में आयोजित 106वीं इंडियन साइंस कांग्रेस के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने टेक्नोलॉजी से जुड़ी 100 विभिन्न चीजों को एक टाइम कैप्सूल में रखकर जमीन में दफना दिया। इसका मकसद सौ साल बाद जब लोगों को ये चीजें मिलें तो उन्हें ये पता चल सके कि 2019 के दशक में कैसी टेक्नोलॉजी हुआ करती थी।

कैप्सूल को धरती के अंदर 10 फीट की गहराई में नोबेल पुरस्कार विजेता बॉयो कैमिस्ट अवराम हर्षको, अमेरिकन फिजिसिस्ट डंकन हालडेन ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से दबाया। कैप्सूल 100 साल तक धरती में दबा रहेगा।

ये चीजें संजोई

टाइम कैप्सूल में मंगलयान, ब्रह्मोस मिसाइल, तेजस फाइटर जेट आदि के मॉडल शामिल हैं। इनके अलावा लैंड-लाइन टेलीफोन, स्मार्ट फोन, स्टीरियो प्लेयर, स्टॉप वॉच, वेइंग मशीन, वॉटर पंप, हेडफोंस, हैंडीकैम, पैन ड्राइव, कंप्यूटर् पार्ट्स जैसे कि हार्ड डिस्क, माउस, मदर बोर्ड और वैज्ञानिक उपकरण जैसे कि रियोस्टेट, रिफ्रेक्ट्रोस्कॉप, डबल माइक्रोस्कोप आदि रखे गए। सोलर सैल, एक नई डॉक्यूमेंट्रीज और मूवीज युक्त हार्डडिस्क भी शामिल हैं।

एलपीयू के चांसलर अशोक मित्तल ने बताया कि पहले किसी चीज को बनाने या उसके विकास में कई साल लग जाते थे, लेकिन अब टेक्नोलॉजी की वजह से बहुत सारी चीजें हमें फौरन मिल जाती हैं।

टाइम कैप्सूल में आज की उन सभी तकनीकों और उनके प्रति जानकारियों को संजोया गया है ताकि आने वाली पीढ़ियों को इनके बारे में नॉलेज मिले। 100 साल बाद उन्हें आज के दौर की चीजें देखकर आश्चर्य होगा। टाइम कैपसूल को एलपीयू के इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, फैशन, एग्रीकल्चर,डिजाइन, कंप्यूटर आदि विभागों के 25 से अधिक विद्यार्थियों ने तैयार किया है।