नई दिल्ली। मुंबई से अहमदाबाद के बीच पहली बुलेट ट्रेन का निर्माण कार्य इसी साल शुरू होने की उम्मीद है। देश की पहली बुलेट ट्रेन के रेलवे स्टेशन मौजूदा स्टेशनों से पूरी तरह से अलग और आधुनिक होंगे। इसमें इस तरह की व्यवस्था होगी कि ट्रेन के अंदर बाद में टिकट चेकिंग की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
स्टेशनों के डिजाइन के कुछ पहलुओं पर अभी विचार जारी है। ये स्टेशन न सिर्फ पूरी तरह से कवर्ड होंगे, बल्कि इन स्टेशनों पर ऐसी मशीनें लग जाएंगी जो खुद ही टिकट जांचेंगी। यात्री के पास वैलिड टिकट होगा, तभी वह ट्रेन तक पहुंच पाएगा। रेलवे के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक बुलेट ट्रेन के लिए बनाए जाने वाले स्टेशनों की रूपरेखा तैयार करने को लेकर रेलवे बोर्ड में बैठक हुई थी।
बैठक में स्टेशनों पर दी जाने वाली सुविधाओं और उसके ढांचे को लेकर विचार-विमर्श किया गया। मोटे तौर पर यह सहमति बनी है कि स्टेशन का मूल स्वरूप जापान के रेलवे स्टेशनों जैसा ही होगा। लेकिन इसमें भारतीय परिस्थितियों के अनुसार कुछ बदलाव किए जाएंगे ताकि यात्रियों को रेलवे स्टेशन के इस्तेमाल में दिक्कत न आए।
यह पहले ही तय किया जा चुका है कि बुलेट ट्रेन या तो अंडरग्राउंड होगी या फिर ऐलिवेटिड। इससे एक तो जमीन की कम जरूरत होगी और दूसरे ये पूरी तरह से कवर्ड स्टेशन होंगे। स्टेशन का ढांचा इस तरह से बनाया जाएगा कि पहले यात्री को सिक्यॉरिटी जांच करानी होगी और उसके बाद उसके टिकट की जांच होगी।
स्टेशनों पर ऐसी मशीनें होंगी जो टिकट को खुद ही जांच सकेंगी। हालांकि, इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि शुरुआत में मशीनों के साथ ही टिकटों की मैन्युअल जांच की भी व्यवस्था हो।
रेलवे का कहना है कि बुलेट ट्रेन की स्पीड ज्यादा होती है, इसलिए प्लैटफॉर्म पर भी स्क्रीन गेट लगाए जाएंगे। ये स्क्रीन गेट लगभग वैसे ही होंगे जैसे अभी मेट्रो अपने कुछ भीड़भाड़ वाले स्टेशनों पर लगा रही है। इस तरह से प्लैटफॉर्म पर बुलेट ट्रेन के सामने यात्रियों के गिरने या फिर कूदने की घटनाएं रोकी जा सकेंगी।
वेटिंग रूम भी बनेंगे
जापान में रेलवे स्टेशनों पर वेटिंग एरिया में ऐसी व्यवस्था नहीं होती कि वहां यात्री लंबे वक्त तक रुक सकें। लेकिन, भारत में यहां के हालात को देखते हुए बुलेट ट्रेन के स्टेशनों पर वेटिंग रूम बनाने पर विचार किया गया है। ये वेटिंग रूम बिजनस और स्टैंडर्ड क्लास के हो सकते हैं।
इसी तरह से सिक्योरिटी और सेफ्टी के इंटरनेशनल कोड का भी इस्तेमाल किया जाएगा।