जयपुर। राजस्थान सरकार कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए आए दिन नई एसओपी जारी कर रही है। इसमें भी रह-रहकर संशोधन करने पड़ रहे हैं। अब 14 दिन का कम्प्लीट लॉकडाउन लगा दिया गया है। इसमें परचून, फल-सब्जी की दुकान की तरह आटा चक्की को भी सुबह 6 से 11 बजे तक अनुमति दी गई है। महज 5 घन्टे चक्की चलने से कई जगह लोगों को ताजा आटा नहीं मिल रहा है। नतीजतन उन्हें मिलों का रेडिमेड आटा खरीदना पड़ रहा है।
दरअसल, शहर-गांवों में गिनी-चुनी आटा चक्कियां हैं। जिनसे लोग अपनी पसंद का गेहूं पिसवाते हैं। इस तरह उन्हें बिना मिलावट का शुद्ध और सस्ता आटा मिलता है। एक चक्की पर सैकड़ों परिवार गेहूं पिसवाते हैं। सरकार ने महज 5 घन्टे चक्की चलाने की अनुमति दी है। जबकि आटा मिलों को उद्योग की श्रेणी में मानते हुए 24 घण्टे संचालन की अनुमति दे रखी है।
आमतौर पर गली मोहल्ले में लगी एक चक्की एक घन्टे में 60 किलो गेहूं पीसती है। इस लिहाज से एक चक्की लगातार चलाकर सिर्फ 350 किलो गेहूं पीसा जा सकता है। जबकि एक ग्राहक ही 20 से 40 किलो आटा एकसाथ खरीदकर ले जाता है। अब आटा चक्की पर आटे की किल्लत होने से लोगों को रेडिमेड आटा के कट्टे खरीदने पड़ रहे हैं।
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लोगों का कहना है कि आटा तो जीवन यापन का मुख्य आधार है। चक्की पर आटा पीसने में काफी समय लगता है। इसलिए चक्की चलाने की पूरी छूट मिलनी चाहिए।