अजमेर। अगर आप आसमान छूते झूलों के शौकीन हैं तो पुष्कर चले जाइए। इन दिनों वहां पुष्कर मेले की धूम मची है। मेला मैदान में पूरब और पश्चिमी संस्कृति का बेजोड़ संगम देखने को मिलेगा। एक तरफ गोरे परदेशी मेहमानों की टोलियां हैं तो दूसरी तरफ देहाती राजस्थानियों की रेलमपेल। ऊंट, घोड़े, गौ वंश की बस्ती भी बसी है।
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खरीददारी के लिए चूल्हे-चकले से लेकर ट्रैक्टर और हैडफोन से लेकर मुंदरी-चूड़ियां तक हाजिर हैं। खाने को दाल-बाटी से लेकर चाउमीन-बर्गर और हॉट डॉग तक मौजूद है। रेत के धोरों में लाउड स्पीकर पर गूंजते हिंदी फिल्मी और राजस्थानी गीतों के बीच रोमांचक झूलों का संसार भी सजा है।
बाहर राजस्थानी मेले की रंगत है तो मन में धार्मिक कार्तिक मेले की श्रद्धा। एक तरफ पर्यटन है तो दूसरी तरफ तीर्थाटन। कबड्डी, सतोलिया, रस्साकशी आदि देहाती खेलों की धूम के साथ ही हॉट एयर बैलून की सवारी का लुत्फ भी है। यही खासियत है पुष्कर मेले की।