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VIDEO : अजमेर पुलिस की नाक के नीचे नाइट कर्फ्यू में खुल रही दुकानें

अजमेर। इनदिनों राजस्थान में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए रात 8 बजे बाद नाइट कर्फ्यू लागू है लेकिन अजमेर पुलिस इस नाइट कर्फ्यू की पालना नहीं करा पा रही है। खासकर, क्लॉक टावर थाना क्षेत्र में खुद पुलिस के संरक्षण में ही रात 10 बजे तक कई दुकानें खुल रहती हैं, जहां आइसक्रीम, कुल्फी, कॉफी, छोले कुलछे, चाय, बिस्किट, आमलेट, गुटखा, बीड़ी सिगरेट के साथ-साथ आप फल फ्रूट भी खरीद सकते हैं। इनमें रेलवे स्टेशन के सामने तो पूरी रात ही दुकानें आराम से खुली रहती हैं।

सीन -1

चालान के डर से शहर में शाम 6 बजते ही आम दुकानदार अपना सामान समेटना शुरू कर देते हैं। 7 बजे तक ज्यादातर दुकानों पर ताले लग जाते हैं और 8 बजे तक दुकानदार एवं उनके कर्मचारी अपने-अपने घरों में पहुंच जाते हैं।

सीन -2

पूरे बाजार में सभी दुकानें बंद रहती हैं मगर पुलिस को ‘खुश’ करने वाले की दुकान देर रात तक खुली रहती है। पुलिस का वरदहस्त हासिल कर लेने वाले दुकानदार बकायदा अपनी दुकान की लाइट जलाकर बेफिक्री से धंधा करते रहते हैं।

देखें वीडियो

कहां-क्या

सिनेमा रोड पर क्लॉक टावर थाने की बगल में एक चाय की दुकान बरसों से चौबीसों घन्टे खुलती आई है, इस दुकान को पुलिस कभी भी बंद नहीं करा पाई है। शायद थाने की चाय-पानी इसी दुकान से चलती है। यहां चाय के साथ साथ दूध, बिस्किट और बहुत सी चीजें 24 घन्टे बिकती हैं। सामने ही गुटखे सिगरेट की दुकान भी पूरी रात खुली रहती है।
रेलवे स्टेशन के सामने फुट ओवर ब्रिज के नीचे भी चाय गुटखे की दुकान 24 घन्टे खुली रहती है। इस पर भी सभी तरह की खाद्य सामग्री आप नाइट कर्फ्यू में भी खरीद सकते हैं। पास ही फ्रूट का ठेला, आमलेट की स्टॉल भी सेवा में हाजिर है। सामने रेलवे स्टेशन की दीवार के सहारे ऑमलेट व नाश्ते के कई ठेले पूरी रात खुले रहते हैं।
केसरगंज पुलिस चौकी के पास नवज्योति रोड पर रात 10 बजे तक कैफे खुला रहता है। इसी के पास मदनगोपाल रोड पर फास्टफूड कॉर्नर आबाद रहता है। जहां लोग आकर स्वाद लेते देखे जा सकते हैं।

रातभर चहल-पहल

 
ये दुकानें खुली रहने से यहां रातभर खासी चहल-पहल देखी जा सकती है। इन दुकानों की रोशनी में कोरोना काल का साया दूर-दूर तलक नजर नहीं आता है। बाहर से आने वाले यात्रियों के साथ ही शहर के कई आवारा युवकों को इन ठिकानों की जानकारी है। इसलिए देर रात तलब लगने पर वे सीधे ही बाइक लेकर इन दुकानों पर पहुंच जाते हैं। 
 

कहां गई लॉक डाउन और नाइट कर्फ्यू की बंदिशें

 
राज्य सरकार ने केवल लॉकडाउन में छूट दी है। रात्रिकालीन कर्फ्यू जारी है। पुलिस पर गाइड लाइन की पालना कराने की जिम्मेदारी है, लेकिन कोरोना वॉरियर्स का तमगा लटकाकर जगह-जगह सम्मानित होने वाली अजमेर पुलिस खुद सरकार और जिला प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रही है।
 

बड़े अफसर को टिप्स देना बेकार

 
शहर के एक जिम्मेदार नागरिक ने पिछले दिनों पुलिस के एक बड़े अफसर को उनके व्हाट्सएप पर नाइट कर्फ्यू के उल्लंघन की जानकारी के साथ खुली दुकानों का वीडियो भी भेजा था। निराशाजनक बात यह रही कि मैसेज देखने के बावजूद जिले के बड़े पुलिस अधिकारी ने कोई एक्शन नहीं लिया। खास बात यह भी है कि खुद उन्होंने ही मीडिया में अपना यह व्हाट्सएप नम्बर जारी किया ताकि आम लोग उन्हें सूचना दे सकें।

कहां गए इंसीडेंट कमांडर

 
प्रशासन ने लॉकडाउन की पालना कराने के लिए कई अफसरों को इंसीडेंट कमांडर की पदवी देकर छोड़ रखा है। रात होते ही ये इंसीडेंट कमांडर अपने घरों में तानकर सो जाते हैं। पीछे से पूरी रात खुलने वाली दुकानों पर कार्रवाई से ज्यादा उनके लिए नींद जरूरी है।
 

पुलिस की इज्जत दांव पर

 
एक तरफ पुलिस अजमेर में घट रहे संगीन अपराधों के गुनहगारों को पकड़कर इज्जत कमाने का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ यूं खुलेआम भेदभाव कर अपने ‘चहेते’ दुकानदारों को कर्फ्यू में भी दुकानें खोलने की छूट देकर इज्जत दांव पर लगा रही है। रात 8 बजे तक अपनी-अपनी दुकानें बंद कर घर जाने वाले आम शहरियों को पुलिस कैसे मुंह दिखाती होगी, यह तो खुद पुलिस ही जाने।
 

भेदभाव क्यों ?

 
लम्बे समय से लॉकडाउन की मार झेल रहे दुकानदारों में से कुछ अगर देर रात तक धंधा कर रहे हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है, बेचारे रोजी-रोटी ही तो कमा रहे हैं, मसला यह नहीं है बल्कि भेदभाव का है। एक तरफ तो पुलिस आम दुकानदार का चालान बनाने आ धमकती है तो दूसरी तरफ भेंट पूजा चढ़ाने वालों की दुकानें खुली देखकर आंखें मूंद लेती है। 

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