उदयपुर। योग आरोग्यम शिविर के माध्यम से उदयपुर नई बुलंदियां छू रहा है। उदयपुर के निकटवर्ती कैलाशपुरी के रामा गांव के गोपाल डांगी ने 81 मिनट तक शीर्षासन करके विश्व रिकार्ड बना कर दक्षता हासिल की है। मूलत: रामा गांव के गोपाल डांगी ने योग आरोग्यम् शिविर से जुडक़र योग को अपने करियर में चुना व योग की ट्रेनिंग लेकर स्वयं योग करते हैं। निरन्तर योग आरोग्य शिविर के अन्तर्गत धानमंडी सामुदायिक भवन में योग कराते हैं। वो बताते हैं कि योग का जुड़ाव उनको पहले नहीं था परन्तु जब सुबह सुबह अखबार पड़ता था तो देखता था कि हर रोज कोई न कोई इन्सान मानसिक रोग से आत्महत्या कर लेता। आज हर आदमी शारीरिक बीमारी के लिए तो दवाएं ले लेता है परंतु मानसिक रोग के लिए कोई दवाई का असर नहीं होता। योग से शारीरिक रोग व मानसिक रोग को दूर कर सकते हैं। तब से योग को अपने केरियर में उतारा व पतंजलि योग पीठ के पूर्ण कालिक योग प्रशिक्षक अशोक जैन व चिकित्सा अधिकारी डॉ$ शोभालाल औदिच्य से जुडक़र योग कि ट्रेनिंग ली। डांगी बताते हैं कि योग बीमार व्यक्ति के लिए चिकित्सा पद्धति है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित 1 घंटा योगाभ्यास करना चाहिए। डांगी बताते हैं कि शीर्षासन के अलावा वे बिना रुके 121 बार सूर्य नमस्कार का अभ्यास कर चुके हैं। इसके अलावा स्कन्धपादासन, एकपादग्रिवासन, तकियासन, पक्षीआसन, गर्भासन, सुप्तगर्भासम, मयूरासन, योगमुद्रासन, सुप्तवज्रासन, कर्णपिडासन, गोमुखासन आदि दर्जनों कठिन व सरल आसनों का अभ्यास ये बड़ी सहजता से कर लेते हैं। डांगी शीर्षासन के लिए बताते हैं कि शीर्षासन करने के लिए जैसे ही हम सिर के बल खडे होते हैं तो नासिका से सास लेने में तकलीफ होती है इसलिए शीर्षासन सिखने पहले नासिका व फेफड़ों को शुद्ध करने के लिए प्राणायाम का अभ्यास निरन्तर करना चाहिए व हाथ, कन्धो, गर्धन व मेरुदंड के ऊपर पुरे शरीर का भार पड़ता है इसलिए पहले हाथ कन्धे, गर्दन व मेरुदंड के अलग अलग आसनों का अभ्यास करके पुरी तरह से अपने शरीर को तैयार करके अभ्यास करना चाहिए। अपना शरीर माने जितना धीरे धीरे समय को बढ़ाए। जितनी देर शीर्षासन करे उतनी देर या तो लेट जाएं या खड़े रहे। भूखे पेट इस अभ्यास को करे। यह आसन शरीर को पूर्ण रूप से शक्ति प्रदान करने वाला आसन हैं व आसन किसी योग प्रशिक्षक या डा. के सान्निध्य में अभ्यास करे। डॉ$ शोभालाल औदिच्य बताया कि शीर्षासन करने के बाद दूध जरुर पीयें व उन लोगों को शिर्षसन नहीं करना चाहिए जिनके कान बह रहे हो या कानों की पीड़ा हो। निकट दृष्टि का चश्मा हो। हृदय एवं उच्च रक्तचाप, कमर दर्द, जुकाम, नजला, आदि व भारी व्यायाम करने के बाद भी यह आसन न करें। शिविर में योगाचार्य अशोक जैन, प्रेम जैन, डॉ$ नरेंद्र कुमार सनाढ्या, ओमविर सिंह, आशा कुंवर, कमलेश भावसार, शारदा जालोरा आदि योग प्रशिक्षक उपस्थित थे।