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5 इंच बरसात नहीं झेल सका अजमेर, 10 इंच हो जाती तो तबाही तय

  • अजमेर। राजस्थान के अजमेर में आज सोमवार तीसरे दिन भी बिपरजॉय चक्रवर्ती तूफान के चलते बरसात का दौर बना रहा जिससे पूरा जनजीवन अस्त व्यस्त है।

अरब सागर से उठे बिपरजॉय तूफान ने गुजरात के बाद राजस्थान को अपने आगोश में ले लिया और मौसम विभाग की पूर्ववर्ती भविष्यवाणी के अनुसार शनिवार रात से ही बरसात ने अजमेर शहर के अलावा निकटवर्ती पुष्कर, किशनगढ़, ब्यावर, नसीराबाद, आदि क्षेत्रों को अपने आगोश में ले रखा है। यहां 10 इंच तक बरसात का अलर्ट है मगर 5 इंच में ही हालात बेकाबू हो गए हैं। प्रशासन की पूर्व तैयारी के नाम पर सिर्फ कागजी कवायद के अलावा कुछ नहीं है।

कहीं भी जलभराव रोकने के लिए पहले से कोई प्लानिंग नहीं है। हर बार जहां पानी भरता है, वहां इस बार भी पहले से कोई इंतजाम नहीं किए। महज एक-दो अफसर शहर के हालात का जायजा लेने निकले। बाकी कर्णधार अपने-अपने दड़बों में मौसम के मजे लेते रहे।

शनिवार रात से शुरू हुई रिमझिम के साथ रविवार सुबह जब लोगों की आंख खुली तो बरसात का सुहाना मौसम नजर आया लेकिन उसके बाद अजमेर में तेज बारिश से सड़कें जलमग्न हो गई। कई निचली बस्तियों में पानी भर गया। यहां तक के संभाग के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय वार्डों को भी बरसात के पानी ने नहीं छोड़ा। हर बार की तरह इस बार भी अस्पताल जलमग्न हो गया।

आनासागर झील के भराव क्षेत्र में स्थित सागर विहार में झील का पानी भर गया। यहां सहित शहर में 4 जगह मड पम्प लगाकर पानी की निकासी की जा रही है।

ऐतिहासिक आनासागर झील में हिलोरे खा रहा पानी बरसात के दबाव के चलते ऊंची लहरों के साथ सड़क को छूने लगा जिसका शहर के लोगों ने आनासागर चौपाटी पहुंचकर जमकर लुत्फ उठाया। झील की चादर चलने की खबर आग की तरह फैल गई।

बिपरजॉय चक्रवात के दबाव में आई बरसात ने तीर्थराज पुष्कर की घाटियों को झरने के रूप में परिवर्तित कर दिया। अनेक स्थानों पर स्थानीय नागरिकों ने पिकनिक का भी लुत्फ उठाया। आज सोमवार को भी तूफान का असर जारी है। कहीं कहीं कुछ देर के लिए सूरज दिख रहा है तो पलभर में ही तेज बारिश हो रही है।

 

अजमेर जिला प्रशासन द्वारा स्थापित कंट्रोल रूम व बाड़ नियंत्रण कक्ष अलर्ट मोड पर है। लेकिन सवाल यही है कि पहले से अवरोधक क्यों नहीं हटाए जाते हैं। पहले ही नालों की सफाई क्यों नहीं होती। एसी हॉल में मीटिंग करने वाले तमाम अफसर बारिश में बाहर आकर वास्तविकता से रूबरू क्यों नहीं होते?

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