कोटा। शिव भक्ति और धर्म-कर्म का सावन मास 10 जुलाई से शुरू होगा। खास बात यह है कि इस बार सावन मास सोमवार से शुरू होगा और सोमवार को ही पूर्ण होगा। यह संयोग 20 साल बाद बना है। इससे पहले 1997 में यह शुभ संयोग आया था। इस बार भक्त 5 सावन सोमवार का आनंद उठा सकेंगे।
हर सोमवार खास
वैसे तो बहुत से श्रद्धालु सावन मास में हर दिन शिवजी को जल-दूध इत्यादि अर्पण कर पूजा पाठ व व्रत आदि नियमों का पान करते हैं लेकिन सोमवार को विशेष पूजा की जाती है।
इसे वन सोमवार कहा जाता है। क्योंकि इस दिन शिव भक्त वनों अर्थात बाग-बगीचों में जाकर खुले आसमान के नीचे भोजन कर व्रत खोलते हैं। सावन में पूरे माह शिव भक्ति की बयार बहती है। शिवालयों में तड़के से ही हर-हर महादेव व ओउम् नम: शिवाय का उद्घोष गूंजने लगता है।
सावन में शिव आराधना का महत्व
वैसे तो हर दिन भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए जल और दूध से अभिषेक करते हैं लेकिन सावन मास में इसका विशेष महत्व माना गया है। आदिदेव महादेव प्रकृति प्रिय देव हैं। उनका निवास हिमालय में माना गया है, जो पूरी तरह प्राकृतिक छटा लिए है। स्वयं गंगा उनकी जटाओं में वास करती है।
समुद्र मंथन से जब विष निकला तो सभी देवताओं ने उनसे विषपान करने के लिए प्रार्थना की और वे जन कल्याण के लिए इसका पान कर गए। तभी से उन्हें नीलकंठ भी कहा जाने लगा। विषपान के बाद शिवजी सिर भी गर्म रहने लगा। इससे तांडव करने की संभावना रहने लगी।
सावन का महीना वैसे बरसात का मौसम है लेकिन कई बार वर्षा नहीं होने से शिवजी के तांडव की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इस माह उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनका जलाभिषेक किया जाता है।
शास्त्रों में यह भी कहा गया है ‘जलधारा प्रिय: शिव:’ अर्थात शिवजी को जल व अन्य शीतल चीजें अति प्रिय हैं। इसलिए जल के साथ दूध, गुलाब, जल, केवड़ा जल इत्यादि अर्पण कर उन्हें शीतलता प्रदान की जाती है।
ये होंगे पांच वन सोमवार
पहला वन सोमवार- 10 जुलाई
दूसरा वन सोमवार- 17 जुलाई
तीसरा वन सोमवार- 24 जुलाई
चौथा वन सोमवार- 31 जुलाई
पांचवां वन सोमवार- 7 अगस्त