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19 साल पहले हुआ बाल विवाह निरस्त


जोधपुर।  ग्यारह माह की अबोध उम्र में बाल विवाह की बेडिय़ों में जकडने के बाद तकरीबन उन्नीस साल से सितम झेल रही रोहिचाकलां गांव की संतादेवी को आखिरकार मुक्ति मिल गई।

सारथी ट्रस्ट का संबल पाकर न्यायालय में बाल विवाह निरस्त की गुहार लेकर पहुंची संतादेवी के लिए फैसले का दिन यादगार हो गया।

जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय ने एक बार फिर बाल विवाह के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला देकर संतादेवी के उन्नीस साल पहले हुए बाल विवाह को निरस्त कर दिया। न्यायालय ने दोनों पक्षों की आपसी सहमति बनने के बाद बाल विवाह निरस्त करने का फैसला सुनाया।

कमठा कारीगर पदमाराम मेघवाल की बीस वर्षीय पु़त्री संतादेवी मेघवाल का बाल विवाह महज ग्यारह माह की उम्र में लूणी तहसील के धंधाडा कस्बे के नजदीक रोहिचाखुर्द गांव के सांवलराम पुत्र अमराराम मेघवाल बामनियां के साथ हुआ था।

सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी पुनर्वास मनोवैज्ञानिक सुश्री कृति भारती का संबल पाकर संतादेवी ने बाल विवाह को मानने से इलकार कर दिया था।

इसके बाद सारथी ट्रस्ट की मदद से संता देवी ने जोधपुर पारिवारिक न्यायालय संख्या 1 में बाल विवाह निरस्त का वाद दायर किया था। न्यायिक सुनवाई में संता की ओर से सुश्री कृति भारती ने पैरवी करते हुए न्यायालय को संता के बाल विवाह निरस्त के तथ्यों और आयु संबंधी प्रमाणिक दस्तावेजों से अवगत करवाया।

काउंसलिंग में बनी सहमति

इस बीच सारथी ट्रस्ट की कृति भारती ने सांवलराम की काउंसलिंग भी की। इसके अलावा संतादेवी पर पहले दबाव बनाने वाले कई जाति पंच भी बाल विवाह निरस्त के लिए सहयोग में आ गए।

कुछ जाति पंचों की समझाइश के बाद कथित पति सांवलराम ने आखिरकार न्यायालय के सामने पेश होकर बाल विवाह निरस्त करवाने के लिए सहमति जता दी।

दोनों पक्षों की सहमति बनने के बाद जोधपुर पारिवारिक न्यायालय संख्या 1 के न्यायाधीश पृथ्वीराज शर्मा ने मंगलवार को बाल विवाह के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए संतादेवी के 19 साल पहले महज 11 माह की उम्र में हुए बाल विवाह को निरस्त कर दिया।

वहीं न्यायाधीश शर्मा ने बाल विवाह के खिलाफ सारथी ट्रस्ट के प्रयासों की भी सराहना की। न्यायाधीश शर्मा ने कहा कि बाल विवाह के खिलाफ मुहिम छेड़कर ही अबोध बच्चों को उन्नति के पर्याप्त अवसर मिल सकते हैं।

इससे पूर्व इसी साल अप्रेल में सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी कृति भारती के प्रयासों से जोधपुर पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश भलाराम परमार ने महज तीन दिन में दो नाबालिग जोड़ों के बाल विवाह को निरस्त करने का फैसला सुनाया था। जिसे हाल ही में लिम्का बुक आफ रिकार्ड के लिए नामित भी किया गया है।

बाल विवाह निरस्त का आदेश होते ही संता, कृति भारती से लिपट कर रो पडी। वहीं संता के पिता भी बेटी की खुशी देखकर आंसू नहीं रोक पाए।