अजमेर। घाणी के ताजा तेल की बात ही निराली है। रिफाइंड के नाम पर केमिकल युक्त खाद्य तेल खा-खाकर लोग असली तेल का स्वाद भूल चुके हैं। मंगलवार को जब अजमेर में लोगों ने सड़क किनारे पारंपरिक घाणी चलती देखी तो ताजा तेल खरीदने उमड़ पड़े।
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दरअसल भीलवाड़ा जिले के मेजा बांध इलाके से आए एक परिवार ने मंगलवार को ही ब्यावर रोड पर हजारी बाग इलाके सड़क किनारे घाणी लगाई है।
वहां कोल्हू में बैल जुटा देखकर राह चलते लोग कौतूहलवश रुकते रहे और ताजा-ताजा निकला तिल्ली का तेल और तिलकुटा खरीदने से खुद को रोक नहीं पाए। दो बैल और कोल्हू लेकर आए इस परिवार ने वहीं टेंट लगाकर डेरा जमाया है।
दर्दी में खासी डिमांड
तिल्ली के तेल की सर्दियों में खासी डिमांड रहती है। विशेषकर ढोकले में तिल्ली का तेल डालकर खाना पौष्टिक होता है। ढोकले में तिल्ली के तेल की सौंधी-सौंधी खुशबू लाजवाब होती है।
तिलकुटा भी खूब बिक रहा
यह परिवार ग्राहकों के सामने निकाला हुआ ताजा तिल्ली का तेल 250 रुपए किलो की दर से बेच रहा है। साथ ही ताजा तिलकुटा 150 रुपए किलो बेच रहा है। लोग तेल के साथ ही तिलकुटा भी खरीद रहे हैं।
2 घण्टे में एक घाणी
इस परिवार ने बताया कि 10 किलो तिलों की एक घाणी निकलने में करीब 2 घण्टे लगते हैं। इससे करीब तीन-साढ़े तीन किलो तेल निकलता है।
बदल गया जमाना
बदलते जमाने के साथ बैल घाणी के भी दिन बदल चुके हैं। अब घाणी की जगह मशीनें ले चुकी हैं। कई जगह बैल की जगह मशीनों से तेल निकाला जाने लगा है। कुछ जगह बैल की जगह मोटरसाइकिल को जोतने लगे हैं। ऐसे दौर में परम्परागत बैल घाणी चलती देख लोगों में खासा कौतुहल है।