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सिख सेवादारों के बयान से अजमेर पुलिस की जान में जान आई

अजमेर। नसीराबाद क्षेत्र के चाट सरदारपुरा गांव में चार सिख सेवादारों के साथ बेरहमी के मामले में पीड़ित सेवादारों ने अजमेर पुलिस को क्लीन चिट दे दी है।

शुक्रवार को जयपुर में राज्य अल्पसंख्यक आयोग के समक्ष सेवादारों ने कहा कि अगर उस दिन गांव में पुलिस ने हमें नहीं बचाया होता तो ग्रामीण हमें जान से ही मार देते। उनके इस बयान से अजमेर पुलिस की जान में जान आई है।


दरअसल विगत 24 अप्रेल को अलवर खैरथल के चार सिख सेवादार अन्नक्षेत्र के लिए अनाज व दान दक्षिणा मांगने बोलेरो लेकर चाट सरदारपुरा गांव पहुंचे, जहां ग्रामीणों ने चारों को संदिग्ध मानते हुए बेरहमी से पिटाई कर दी। इस दौरान राजगढ़ चौकी का सिपाही बुद्धाराम भी मौजूद था।


इसके बाद पुलिस चारों को पकड़कर सदर थाने ले आई और शांति भंग में गिरफ्तार कर लिया। बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया।
एक महीने बाद उन सेवादारों की पिटाई का वीडियो वायरल हो गया। वीडियो देख सिख समुदाय में रोष फ़ैल गया और पुलिस पर भी अंगुली उठने लगी। इस बीच राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने अजमेर पुलिस से जवाब तलब कर लिया।
दूसरी और पीड़ित सेवादार वापस नसीराबाद पहुंचे और ग्रामीणों के खिलाफ मारपीट की शिकायत दी। इस पर पुलिस ने सरपंच रामदेव सिंह, श्रवण सिंह, राजू सिंह, भंवर सिंह, मन्ना सिंह और विजय सिंह रावत को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया।
शुक्रवार को आयोग के समक्ष पेश में सेवादारों ने पुलिस को क्लीन चिट दे दी।
सेवादार निर्मल सिंह, हरपाल सिंह, कुलदीप सिंह व मंजीत सिंह ने आयोग से कहा कि अजमेर पुलिस ने हमें बचाया था। बाद में हमारी शिकायत पर तुरन्त एक्शन भी लिया। उनके बयान से पुलिस ने राहत की सांस ली।

 

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