सकल हिन्दू समाज ने राष्ट्रपति, राज्यपाल तथा संयुक्त राष्ट्र महासचिव के नाम सौंपा ज्ञापन
अजमेर। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता परिवर्तन के बाद वहां हिंदुओं और अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे लगातार हमलों, हिंदू मंदिरों के विध्वंस और हिंदू बहन-बेटियों के साथ दुर्व्यवहार व दुष्कर्म के खिलाफ अजमेर शहर सकल हिन्दू समाज ने शुक्रवार को विशाल मौन जुलूस निकाला। साथ ही दोपहर1 बजे तक अजमेर बंद रखकर विरोध जताया।
3000 से अधिक लोग विशाल मौन जुलुस में शामिल हुए। सडक के दोनों किनारों पर भी बडी संख्या में जमा होकर आक्रोश व्यक्त किया। गांधी भवन से प्रारम्भ होकर यह मौन जुलूस शांतिपूर्ण ढंग एवं स्वअनुशासन ने कलेक्ट्री पहुंचा।
संतों की अगुवाई में विविध जाति बिरादरी तथा व्यापारिक व सामाजिक संस्थाओं के प्रमुखों ने राष्ट्रपति, राज्यपाल तथा संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के नाम लिखित ज्ञापन कलेक्टर को सौपा। ज्ञापन देने वाले समूह में महंत श्यामशरण जी, संत सरूपदास, समाजसेवी सुनील दत्त जैन, सुशील सोनी, गोपाल चोयल, अशोक पंसारी, प्रभु लौंगानी, दशरथ सिंह, रमाकांत बाल्दी, उत्तम पंवार, राकेश विजयवर्गीय, सुनील ढिलवारी, विनोद डाबरिया, अनिल भारद्वाज, महेंद्र बंसल, किशनगोपाल गुप्ता, रमेश लालवानी, मुकेश शर्मा, वेद माथुर, बाबू सिंह पवार आदि सम्मिलित थे।
मौन जुलूस में बड़ी संख्या में महिलाओं सहित सैकडों की संख्या में हिन्दू समाज के लोग शामिल हुए। ज्ञापन देने से पहले कलेक्ट्रेट के बाहर उपस्थित जन समूह ने सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ, संकीर्तन तथा 2 मिनट मौन धारण कर बांग्लादेश की हिंसा में हताहत हुए निर्दोषों की आत्मा की शांति और वहां रह रहे हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए प्रार्थना भी की। अंत में निरंजन शर्मा ने सभी धन्यवाद किया।
ज्ञापन में उठाई गई प्रमुख मांगें
भारत सरकार न केवल बांग्लादेश के हिन्दूओं और अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक व व्यापारिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करे अपितु जिन हिंदुओं की संपत्तियों को बांग्लादेश में नष्ट किया गया है, उनकी भरपाई की जाए।
जिन निर्दोष हिन्दुओं व अल्पसंख्यकों की हत्याएं हुई है उनके परिजनों को मुवावजा व सरकारी नौकरी दी जाए साथ ही अल्पसंख्यक समुदायों के हिंसा में घायल हुए नागरिकों की समुचित चिकित्सा का प्रबंध सरकारी खर्चे पर करवाया जाए।