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शिक्षा मंत्री देवनानी के शहर में ही उड़ रही नियमों की धज्जियां


अजमेर। शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के गृह नगर अजमेर में ही शिक्षा विभाग के नियमों-नीतियों की धज्जियां उड़ रही है। शनिवार को दो घटनाओं ने राज्य की बीजेपी सरकार की मंशा और कार्यशैली पर सवाल छोड़ दिए हैं। एक स्कूल की वजह से एक इंसान की मौत हो गई जबकि दूसरी स्कूल की वजह से सैकड़ों बच्चों का भविष्य एवं अभिभावकों की जेब बर्बाद हो रही है। इसके बावजूद मंत्री और उनका विभाग शर्मनाक चुप्पी साधे हुए हैं।

 

पहला मामला

शनिवार को दयानन्द बाल निकेतन स्कूल में दर्जनों अभिभावकों ने इस बात पर रोष जताया कि स्कूल प्रबंधन ने अवैध रूप से 30 फीसदी फीस बढ़ा दी, वह भी बिना बताए। जब सेशन शुरू हो गया तब अचानक फीस में जबरदस्त बढ़ोत्तरी कर दी गई। जाहिर है अगर पहले फीस बढाई जाती तो अभिभावक अपने बच्चों का नाम स्कूल से कटाकर दूसरी जगह एडमिशन दिला देते। मगर शातिर प्रबंधन ने स्कूल खुलने के बाद यह खेल खेला।
पिछले साल भी इस स्कूल का मामला काफी गरमाया था। लेकिन शिक्षा विभाग केवल कागजी कार्यवाही कर अपनी पगार पकाता रहा। इस पर इस बार कई अभिभावकों ने अपने बच्चों के नाम कटवा लिए थे। जिन लोगों ने नाम नहीं कटवाए, वे अब पछता रहे हैं।
खास बात यह भी है कि जब भी इस स्कूल में अभिभावक अपना विरोध जताते हैं, रामगंज थाना पुलिस स्कूल प्रबंधन के साथ खड़ी हो जाती है। अभिभावकों को डराया धमकाया जाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंत्री, शिक्षा विभाग, पुलिस और स्कूल प्रबंधन को अभिभावकों की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है। शहर में आर्य समाज की एक दर्जन स्कूलें बन्द हो चुकी हैं। अगर यही तानाशाही और लूट चलती रही तो अगले साल यह स्कूल भी बन्द हो जाएगी।

दूसरा मामला

शनिवार को ही मयूर स्कूल के कुप्रबंधन की वजह से स्कूल के बाहर जाम लग गया। इसमें फंसने से एक एलआईसी अफसर की मौत हो गई।
दरअसल मयूर स्कूल में अफसरों, नेताओं, बिजनेसमैन और कई पत्रकारों के बच्चे भी पढ़ते हैं। इस वजह से यह स्कूल प्रबंधन शिक्षा विभाग के नियमों को अपने जूते की नोक पर रखता है। अजमेर की जमीन पर संचालित होने के बावजूद इस स्कूल पर शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन का कोई नियम लागू नहीं होता है।
शनिवार को स्कूल में पेरेंट्स टीचर मीटिंग थी। स्कूल में भरपूर जगह होने के बावजूद किसी भी पेरेंट्स की गाड़ी भीतर नहीं आने दी। सभी गाड़ियां बाहर सड़क पर खड़ी होने के कारण जाम लग गया।
इसी दौरान एलआईसी दफ्तर में अफसर फूलचंद को हार्ट अटैक आया। साथी कर्मचारी उन्हें लेकर अस्पताल जाने लगे तो जाम में फंस गए। यही देरी फूलचंद की जान पर भारी पड़ी और उनकी मौत हो गई। इस हादसे के बाद कोई भी मयूर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा रहा है। ना मंत्री, ना जिला कलेक्टर, ना मीडिया।

 

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