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लाखों स्कूली बच्चे फिर स्कूल से ‘बेदखल’ भर्ती परीक्षाओं की मार

जयपुर। राज्य में स्कूली बच्चों का भविष्य खुद सरकार ने ही दांव पर लगा रखा है। अगले पांच दिन तक लाखों स्कूली बच्चे अपने स्कूल नहीं जा सकेंगे। उन्हें स्कूल से ‘बेदखल’ रहना पड़ेगा। उनकी टेबल कुर्सियों पर भावी टीचर्स का कब्जा रहेगा।
दरअसल, राज्य में जब भी कोई भर्ती परीक्षा होती है तो इसका सीधा-सीधा खामियाजा स्कूली बच्चों को अपनी पढ़ाई के नुकसान के तौर पर उठाना पड़ता है। चाहे राजस्थान लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षा हो या मंत्रालयिक कर्मचारी चयन बोर्ड की परीक्षा, या फिर किसी भी भर्ती एजेंसी की परीक्षा हो, इसके लिए स्कूलों को ही परीक्षा केंद्र बनाया जा रहा है। पूरे साल में लगभग 20-25 दिन ऐसे होते हैं जब स्कूलों में भर्ती परीक्षा के केंद्र स्थापित कर दिए जाते हैं। ऐसे में उन स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों की छुट्टी घोषित कर दी जाती है।

पांच दिन चलेगी शिक्षक भर्ती परीक्षा

राजस्थान में शिक्षकों के 48 हजार पदों पर सीधी भर्ती के लिए शनिवार से पूरे पांच दिन तक परीक्षा चलेगी। इसके लिए 11 जिलों में हजारों स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है और वहां के बच्चों की छुट्टी कर दी गई है। परीक्षा में नकल रोकने के बहाने कई जिलों में इंटरनेट बंदी भी की जा रही है।

क्या हमारे भविष्य की कोई चिंता नहीं?

आमतौर पर शिक्षा विभाग में पहले ही सभी विभागों से ज्यादा अवकाश होते हैं। सालभर में बच्चे केवल 7- 8 महीने ही स्कूल जा पाते हैं। ऊपर से भर्ती परीक्षाओं की वजह से अतिरिक्त छुट्टियां हो रही हैं। ऐसे में नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है।

निजी स्कूलों का लालच पड़ रहा भारी

भर्ती परीक्षाओं के आयोजन के लिए स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाना सरकार की सोच पर सवाल उठाता है। बेरोजगारों का तो भविष्य बन जाता है लेकिन बच्चों को होने वाले पढ़ाई के नुकसान की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। खासकर, निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का इन भर्ती परीक्षाओं से सीधा कोई वास्ता नहीं होने के बावजूद उनसे उनकी पढ़ाई का हक छीना जा रहा है। हर महीने अभिभावकों से मोटी फीस वसूली के बावजूद निजी स्कूल प्रबंधन अतिरिक्त कमाई के लालच में अपने स्कूल परिसर को परीक्षा केंद्र बनवा रहे हैं। जबकि मिशनरी के महंगे स्कूलों में परीक्षा केंद्र बनाने की सरकार की हिम्मत तक नहीं होती।

अलग से संसाधन जुटाए सरकार

भर्ती परीक्षाओं से सरकार करोड़ों रुपए का राजस्व अर्जित करती है तो फिर परीक्षा केंद्र बनाने के लिए पृथक से स्थाई बंदोबस्त क्यों नहीं करती। क्यों हर बार स्कूली बच्चों की पढ़ाई दांव पर लगा दी जाती है।

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