जोधपुर। राज्य सरकार की ओर से मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टरों की परीक्षा प्रणाली में किए गए बदलाव से खफा रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से शहर की तीनों प्रमुख अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्थाएं लडख़ड़ा गई है। रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल तोडऩे को तैयार नहीं है वहीं राज्य सरकार भी अपने फैसले पर अड़ी हुई है। दोनों के बीच आज तीसरे दिन भी गतिरोध जारी रहा। इसका खामियाजा मरीज और उनके परिजन भुगत रहे है।
मेडिकल की पीजी परीक्षा प्रणाली में अचानक किए गए बदलाव से असंतुष्ट रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार को भी जारी रही। रेजिडेंट डॉक्टर सोमवार रात को हड़ताल पर चले गए थे। यह हड़ताल पूरे प्रदेश में की जा रही है। उनके हड़ताल पर जाने के बाद मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों में व्यवस्थाएं चरमरा गई है। हड़ताल के खिलाफ सरकार ने कड़ा रूख अपनाते हुए सेवारत रेजिडेंट डॉक्टरों को कार्यमुक्त करने और प्रथम वर्ष के रेजिडेंट के हड़ताल पर रहने पर टर्मिनेट कर प्रतीक्षा सूची से नए प्रवेश करने के भी निर्देश दिए है। रेजिडेंट के बार-बार हड़ताल पर जाने के कारण सरकार ने फैसला लिया है।
राज्य सरकार के सख्त रवैये के बाद आक्रोशित रेजिडेंट डॉक्टर सामूहिक रूप से त्यागपत्र देने की रणनीति बना रहे है। राज्य सरकार के सख्त रवैये के कारण अकेले जोधपुर में ही प्रथम वर्ष के 110 रेजिडेंट डाक्टरों को टर्मिनेट करने की तैयारी की जा रही है। वहीं 76 सेवारत रेजिडेंट को रिलीव कर जयपुर भेज दिया गया है। राज्य सरकार की इस कार्रवाई से खफा रेजिडेंट डाक्टरों ने अपने आंदोलन को जारी रखने का निर्णय किया। वे अब सामूहिक रूप से त्यागपत्र देने की योजना तैयार कर रहे है।
रेजिडेंट डाक्टर व राज्य सरकार दोनों अपनी बात पर अड़े हुए है। दोनों में से कोई पक्ष समझौता करने के मूड में नजर नहीं आ रहा है। हड़ताल के कारण कई ऑपरेशन स्थगित कर दिए गए है। तीनों अस्पतालों में सिर्फ अति आवश्यक ऑपरेशन ही किए जा रहे है। वहीं कम से कम मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है। तीनों अस्पताल की ओपीडी में मरीजों को अपनी जांच के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।